ताबीर हुसैन. Friendship Day महज एक तारीख नहीं, बल्कि उन रिश्तों का उत्सव है जो खून के नहीं, लेकिन दिल के बेहद करीब होते हैं। इस बार हम ऐसी दोस्ती की बात कर रहे हैं जिन्होंने न सिर्फ साथ बिताए लहों को संजोया, बल्कि सपनों को साझे मकसद में बदला। ( CG News) स्कूल से शुरू हुई दोस्ती हो या कॉलेज में बना साथ, कहीं शादी में बदला रिश्ता तो कहीं कोचिंग के क्लासरूम में जन्मा भरोसा। इन कहानियों में एक बात कॉमन है दोस्ती ने दिशा दी, और विश्वास ने मंजिल।
किसी ने सोलर एनर्जी को चुना, किसी ने बच्चों की त्वचा की चिंता को कारोबार बना दिया। कुछ ने खेतों को इनोवेशन से जोड़ा, तो कुछ ने पढ़ाने के जुनून को स्किल ट्रेनिंग के मंच पर ला खड़ा किया। इतना ही नहीं किसी दोस्ती ने तो दांतों के डॉक्टरों को सिनेमा का साथी बना दिया। इस फ्रेंडशिप डे पर ऐसी दोस्तियों को सलाम जो सिर्फ रिश्तों की मिसाल नहीं, कामयाबी की कहानी भी हैं।
डॉ. शांतनु पाटनवार बताते हैं, 2007 में जब मैं डेंटिस्ट्री पढ़ रहा था, तब जो दोस्त बने थे, वही आज भी साथ हैं। कुछ क्लिनिक चला रहे हैं, कुछ फिल्मों के शौकीन थे और हमने मिलकर वो दोनों दुनिया मिला दी। इन्हीं दोस्तों की टीम ने अब छत्तीसगढ़ी फिल्म 'दंतेला' बनाई है, जो जल्द ही रिलीज होगी। इस टीम में डॉ. राज दीवान, डॉ. प्रवीण मित्तल, डॉ. प्रभाकर, डॉ. इशी, डॉ. अजितेश, डॉ. मानसी और डॉ. सूरज शामिल हैं।
अभिषेक शर्मा और ऋषभ गुमन की दोस्ती स्कूल के दिनों की है। दोनों ने तब ही तय कर लिया था कि नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि नौकरी देने वाले बनेंगे। आज ये दोनों सोलर एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। अभिषेक बताते हैं, 2009 से हम दोस्त हैं। हर फैसले पर चर्चा करते हैं। कभी-कभी मतभेद होता है, लेकिन मनभेद कभी नहीं हुआ। शायद यही हमारी साझेदारी की सबसे बड़ी ताकत है।
लब्धि चोपड़ा और कनिका सिंह चोपड़ा पहले दोस्त बने, फिर जीवनसाथी और अब बिजनेस पार्टनर। दोनों ने बच्चों के लिए आयुर्वेदिक और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स बनाने का स्टार्टअप शुरू किया, जिसे आईआईटी दिल्ली से एंजल फंडिंग भी मिली है। कनिका बताती हैं, हमारी बेटी ढाई साल की थी, जब जन्माष्टमी के दिन मेकअप से उसे रिएक्शन हो गया। तब सोचा कि बच्चों के लिए ऐसे प्रोडक्ट क्यों नहीं, जो सुरक्षित और प्राकृतिक हों। वही हमारी प्रेरणा बन गया। आज इनका स्टार्टअप पैन इंडिया में सेल करता है और मासिक लगभग 10 लाख का रेवेन्यू जनरेट कर रहा है।
योगेंद्र चौधरी, मान्वेंद्र ठाकुर और सिमरियाज फातिमा तीनों आईजीकेवी स्टार्टअप इन्क्यूबेटर सेंटर में इन्क्यूबेट हैं। कॉलेज में दोस्त बने और अब मिलकर एग्रीटेक स्टार्टअप चला रहे हैं। उन्होंने सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के जरिए मिट्टी की टेस्टिंग शुरू की है, जिससे खेत की जरूरत बिना मिट्टी को छुए समझ में आती है। आज तक वे 2 हजार किसानों की 800 एकड़ जमीन में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी दोस्ती में ज्ञान, प्रयोग और परिश्रम तीनों का मेल दिखता है।
कोमल व्यास शर्मा और आरएस खान दोनों कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाते थे। वहीं से गहरी दोस्ती शुरू हुई और विचार आया कि क्यों न स्किल ट्रेनिंग को एआई टेक्नोलॉजी के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाए। अब दोनों मिलकर एडटेक स्टार्टअप चला रहे हैं, जो न सिर्फ जॉब ओरिएंटेड स्किल देता है बल्कि रीजनल लैंग्वेज में भी कंटेंट तैयार करता है। कोमल कहती हैं, हम अब भी सबसे पहले दोस्त हैं। बहस करते हैं, हंसते हैं, गले लगते हैं। दोस्ती की ये डोर अब भी उतनी ही मजबूत है जितनी पहले दिन थी।
Published on:
03 Aug 2025 12:55 pm