
CG Rajyotsav 2025 (photo source- Patrika)
CG Rajyotsav 2025: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन की पृष्ठभूमि में रायगढ़ की भूमिका ऐतिहासिक रही है। आज भले ही छत्तीसगढ़ एक सशक्त राज्य के रूप में विकसित हो रहा हो, लेकिन इसके पीछे संघर्ष और जनआंदोलन का लबा इतिहास रहा है। इसी इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है रायगढ़ शहर की देवांगन धर्मशाला में हुई वह बैठक भी है, जिसमें छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर मशाल जली थी।
इस बैठक में रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ सहित प्रदेशभर के कई प्रमुख नेता शामिल हुए थे, जिनमें चंदूलाल चंद्राकर, पुरुषोत्तम कौशिक, तिरूर भूषण, सुधीर मुखर्जी, हरि ठाकुर और केशव सिंह ठाकुर जैसे प्रभावशाली नाम शामिल थे। इन नेताओं ने रायगढ़ की इस बैठक को छत्तीसगढ़ आंदोलन की नींव के रूप में स्थापित किया। रायगढ़ से जगदीश मेहर और अन्य स्थानीय नेता सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। वहीं बतौर पत्रकार के रूप में दिनेश मिश्रा भी बैठक में मौजूद थे। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य के हर जिले में लोगों को जोड़ने और आंदोलन को गति देने का काम स्थानीय नेताओं के जिम्मे होगा।
इसी क्रम में रायगढ़ जिले में आंदोलन को मजबूत करने की जिम्मेदारी जगदीश मेहर और स्वर्गीय नंदकुमार पटेल को सौंपी गई थी। दोनों नेताओं ने क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने, सभाएं आयोजित करने और राज्य निर्माण के महत्व को बताने का कार्य किया। उनके प्रयासों से गांव-गांव तक अलग राज्य की मांग की आवाज पहुंची।
रायगढ़ के जगदीश मेहर बताते हैं कि उस दौर में जब छत्तीसगढ़ की पहचान सीमित थी, तब इस शहर से उठी आवाज ने लोगों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई। देवांगन धर्मशाला की वह बैठक आज भी इस बात का प्रतीक है कि किसी भी बड़े परिवर्तन की शुरुआत आम लोगों के बीच से होती है। आखिरकार, 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, और वह सपना साकार हुआ जिसे कभी रायगढ़ की एक धर्मशाला में बैठकर गढ़ा गया था।
CG Rajyotsav 2025: बैठक में यह भी तय हुआ कि आंदोलन पूरी तरह अहिंसक और जनभागीदारी पर आधारित होगा। नेताओं ने एकमत से कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों की सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक पहचान को समान दिलाने के लिए अलग राज्य जरूरी है। यह केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक और भावनात्मक लड़ाई है। रायगढ़ की इस बैठक के बाद क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार किया। यह आंदोलन की मशाल रायगढ़ के साथ अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर और बस्तर में भी जल रही थी।
जगदीश मेहर बताते हैं कि अविभाजित छत्तीसगढ़ कांग्रेस का गढ़ रहा है। मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ के बूते ही सरकार बनती थी, लेकिन विकास में हमेशा पिछड़ा ही रहा। पिछडे़पन को दूर करने के लिए अलग राज्य की स्थापना आवश्यक थी। इसको लेकर यह मांग उठी थी।
Published on:
01 Nov 2025 06:38 pm
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