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Pratapgarh News: 34 दिन बाद अंडों से सुरक्षित निकले रूप सुंदरी सांप के 3 बच्चे, प्राकृतिक आवास में छोड़ा

तीन अंडों में ट्रिन्केट स्नैक(रूप सुंदरी) के बच्चे निकले हैं। इन बच्चों को वन विभाग के साथ मिलकर उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ा गया।

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अरनोद में दुलर्भ प्रजाति का ट्रिंकेट स्नैक, पत्रिका फोटो

अरनोद/दलोट. प्रतापगढ़ जिले के दलोट सहित आसपास के क्षेत्र में वन्यजीवों को सुरक्षित रेसक्यू करने व आमजन को वन्य जीवों के प्रति जागरूक करने वाली संस्था वाइल्ड लाइफ एंड एनिमल रेस्क्यू सोसायटी दलोट ने एक बार फिर से वन्य जीव संरक्षण के तहत अपनी भूमिका को निभाई है। जिसमें एक माह चार दिन पहले अरनोद कस्बे में एक घर से सांप के अंडे निकले थे। इनको सुरक्षित वन विभाग के मार्गदर्शन में हैच करवाया। जिनमें तीन अंडों में ट्रिन्केट स्नैक(रूप सुंदरी) के बच्चे निकले हैं। इन बच्चों को वन विभाग के साथ मिलकर उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ा गया।

यह सांप विषहिन होता है। सोसायटी के संस्थापक लव कुमार जैन ने बताया कि टीम के अरनोद कस्बे के रेस्क्यूर सूरज कुमावत को सूचना मिली की गौतमेश्वर रोड़ पर एक मकान के पुराने हिस्से को नया बनाने के लिए तोड़ा जा रहा है। जहां नीव के पास दीवार में मकान मालिक को चार अंडे दिखाई दिए। मकान तोड़न के दौरान एक अंडा फूट गया था, लेकिन तीन अंडे सुरक्षित थे। जिस पर रेसक्यूर सूरज कुमावत मौके पर पंहुचे। जहां तीन अंडों को सुरक्षित रेस्क्यू कर दलोट संस्था तक पहुंचाया। जहां संस्था ने दलोट वन विभाग की निगरानी में उन्हें सुरक्षित रखा। मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरीसृपों पर काम करने वाले स्नैक एक्सपर्ट विवेक शर्मा जबलपुर के मार्गदर्शन व वन विभाग के सहयोग से उन्हें सुरक्षित रखा गया। करीब 34 दिन बाद तीन अंडों में से रूप सुंदरी सांप के बच्चे सफलतापूर्वक बाहर निकले। इस पर वन विभाग के साथ टीम ने मिलकर उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ा गया।

सांप की एक दुर्लभ प्रजाति, गैर विषैला होने के साथ बेहद सुंदर

प्रकृति में पाई जाने वाली सर्प प्रजातियां विविधता से भरी हुई हैं। कुछ सांप अपने विष के कारण जाने जाते हैं तो कुछ अपने रंग-रूप और व्यवहार से आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। ऐसी ही एक प्रजाति है ट्रिन्केट स्नैक जिसे स्थानीय रूप से रूप सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। यह सांप देखने में बेहद सुंदर होता है और अपने शांत स्वभाव के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। यह गैर-विषैले सांपों के समूह में आता है। भारत में पाई जाने वाली यह प्रजाति मुख्य रूप से दक्षिण और मध्य भारत के जंगलों, खेतों और ग्रामीण इलाकों में देखी जाती है। अपने आकर्षक रंग-रूप के कारण रूप सुंदरी कहलाता है। इसके शरीर पर सुनहरी, भूरे और काले रंग की धारियां होती हैं जो इसे बेहद सुंदर बनाती हैं। रेस्क्यूअर जैन ने बताया कि इसकी लंबाई सामान्यत: 3 से 5 फीट तक होती है। सिर पर हल्का तिकोना आकार और आंखों के पीछे गहरी धारियां इसे अन्य सांपों से अलग पहचान देती हैं।

संरक्षित श्रेणी में है शामिल

यह सांप स्वभाव से शांत और डरपोक होता है। छोटे जीव, चूहों, छिपकलियों और मेंढकों को खाता है। यह पेड़ों और झाड़ियों पर चढ़ने में भी सक्षम होता है। यह पर्यावरण के लिए बहुत उपयोगी सांप है। यह खेतों और घरों में पाए जाने वाले हानिकारक चूहों की संख्या कम करता है, जिससे फसलों की रक्षा होती है। इस कारण से इसे किसानों का मित्र भी कहा जा सकता है। कई लोग इसे विषैला समझकर मार देते हैं, जबकि यह पूरी तरह हानिरहित होता है। यह सांप भारत में संरक्षित सरीसृपों की सूची में शामिल है और इसे पकड़ना या मारना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दंडनीय अपराध है।


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