
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली। लद्दाख में हिंसक आंदोलन के पीछे केंद्र सरकार बड़ी साजिश देखती है। लद्दाख मसले से जुड़े केंद्र सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि जब लद्दाख एपेक्स बॉडी(एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस(केडीए) के उठाए मुद्दों पर बात के लिए गठित हाई पॉवर्ड कमेटी की 25-26 सितंबर को बैठक करने वाली थी तो फिर अचानक हिंसा क्यों? स्थिति अपने आप नहीं बिगड़ी, इसे जानबूझकर बिगाड़ा गया था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की निजी महत्वाकांक्षा की कीमत स्थानीय युवा चुका रहे हैं।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने एबीएल और केडीए की ओर से उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक के लिए छह अक्टूबर की तारीख पहले ही तय कर दी थी। कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने हाई पॉवर्ड कमेटी में कुछ नए सदस्यों को शामिल करने की मांग की थी, उस पर भी सहमति बनी थी। फिर बैठक को तय तारीख से पहले आयोजित करने का अनुरोध प्राप्त हुआ। इस पर 25-26 सितंबर को कुछ बैठकों के आयोजन पर विचार किया जा रहा था। इससे पहले भी 25 जुलाई को बातचीत प्रस्तावित की गई थी, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। जब खुले मन से बातचीत का रास्ता खुला था तो फिर हिंसा क्यों भड़काई गई?
केंद्र सरकार के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख में अरब स्प्रिंग-शैली के विरोध प्रदर्शन के संकेत देते रहे हैं। उन्होंने निजी मुद्दों के लिए मंच का इस्तेमाल किया। इस बीच राजनीतिक दल ने पथराव, बंद और आगजनी के लिए लोगों को भड़काया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक हिंसक आंदोलन में शामिल युवाओं को दोष नहीं दिया जा सकता, उन्हें राजनीतिक और निजी स्वार्थ के लिए एक भयावह साज़िश में फंसाया गया।
Updated on:
25 Sept 2025 04:48 pm
Published on:
25 Sept 2025 04:47 pm
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