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Youth Parliament: कश्मीरी छात्रा बोलीं- ‘POK वापस लेने का वक्त आया’, विधानसभा में गूंजा आतंकवाद और कश्मीर का मुद्दा

Youth Parliament: राजस्थान विधानसभा में आयोजित युवा संसद में देशभर से आए 168 छात्र-छात्राओं ने आतंकवाद, POK और कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने विचार रखे।

Youth Parliament in Rajasthan Assembly (1)
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(राजस्थान पत्रिका फोटो)

Youth Parliament in Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में आयोजित एक दिवसीय युवा संसद में देशभर के 13 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों से आए 168 छात्र-छात्राओं ने आतंकवाद, पाक अधिकृत कश्मीर (POK) और कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने विचार रखे।

कश्मीर की छात्रा हदीका ने POK को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की, तो भिवाड़ी की जासमीन ने कहा कि POK लेना जरूरी है, लेकिन पहले कश्मीरियों का दिल जीतना होगा, वरना जीत अधूरी रहेगी। जयपुर के प्रणय गुप्ता ने आतंकियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की बात कही, वहीं ग्वालियर की दीवा शर्मा ने पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए।

देवनानी ने युवाओं को दिया संदेश

इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने उद्घाटन समारोह में युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि सदन में विरोध को शालीनता से प्रस्तुत करना चाहिए और मतभेदों में भी मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। वासुदेव देवनानी ने युवाओं को रामचरितमानस पढ़ने की सलाह दी और कहा कि इससे पिता, पुत्र, भाई और पत्नी की भूमिका समझी जा सकती है।

उन्होंने महाभारत के संजय-धृतराष्ट्र प्रसंग को उस युग का टीवी और रामचरितमानस में पुष्पक विमान को प्राचीन वैज्ञानिक दृष्टि का उदाहरण बताया। देवनानी ने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में बिना पड़ताल के पोस्ट करना ठीक नहीं। युवाओं को गहराई में जाकर चीजों को समझना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए, लेकिन राष्ट्रहित के लिए इसकी सीमाओं का पालन जरूरी है।

13 राज्यों के 168 युवाओं ने दिखाया जोश

बता दें, युवा संसद में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गोवा, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ और नई दिल्ली के 55 स्कूलों से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 168 चयनित छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इन युवाओं ने आतंकवाद और POK जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर तथ्यों और तर्कों के साथ अपनी बात रखी।

वहीं, 56 छात्रों ने विधानसभा सदन में मर्यादित व्यवहार का परिचय देते हुए निर्धारित समय में अपनी राय पेश की। बहस के बाद POK को पाकिस्तान से वापस लेने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ, जिसे कश्मीरी छात्रा हदीका ने प्रस्तुत किया था।

POK वापस लेने का समय आ गया- हदीका

इस दौरान कश्मीर की छात्रा हदीका ने कहा कि POK भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे पाकिस्तान से वापस लेने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान POK को आजाद कश्मीर कहता है, लेकिन वहां के नागरिकों को अपनी आवाज उठाने की आजादी तक नहीं है। उन्हें दबाया और कुचला जा रहा है।

हदीका ने आरोप लगाया कि भारत जहां कश्मीर में स्कूल, अस्पताल और पुल बना रहा है, वहीं पाकिस्तान POK में बंकर बना रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को पालता-पोसता है, जो कई बार साबित हो चुका है।

कश्मीरियों का पहले जीतें दिल- जासमीन

भिवाड़ी की छात्रा जासमीन ने भावुक अंदाज में कहा कि POK भारत का है और इसे वापस लेना जरूरी है, लेकिन पहले कश्मीरियों का दिल जीतना होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर की गलियों में स्कूलों से ज्यादा चेक पॉइंट और अस्पतालों से ज्यादा बंकर हैं। POK में चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर है, वहां कब्जा करने का मतलब दो देशों से युद्ध का खतरा है।

जासमीन ने सवाल उठाया कि जब कश्मीर में फेक एनकाउंटर और 600 से ज्यादा एनजीओ पर बैन जैसे हालात हैं, तो कश्मीरियों की आवाज कैसे सुनी जाएगी? उन्होंने कहा कि POK ले लीजिए, लेकिन कश्मीरियों का दिल हार गए तो जीत खोखली होगी। कश्मीर में युवाओं पर बैलेट और प्रेस पर बैन है। पहले कश्मीरियों की हिफाजत और सलामती सुनिश्चित करनी होगी।

एकजुट होकर लेना होगा बदला- तन्य

मुंबई के छात्र तन्य भवेन पारीख ने कहा कि पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों का बहिष्कार आवश्यक है। जो देश हथियारों पर खर्च करता है, उसे भोजन के लिए कर्ज नहीं मिलना चाहिए। पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के बल पर बनाई गई छवि को दबाना जरूरी है। इसके लिए उन पर सैन्य कार्रवाई के माध्यम से दबाव बढ़ाना होगा। संसद हमले, उरी, पुलवामा और पहलगाम जैसे हमलों का बदला एकजुट होकर लेना होगा। साथ ही, पाकिस्तान के लोगों की दबी आवाज को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए।

आंतकियों से बहस नहीं, सीधा हिसाब- प्रणय

जयपुर के छात्र प्रणय गुप्ता ने आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि पाकिस्तान की वादाखिलाफी से हम सब वाकिफ हैं। वाजपेयी और मोदी गए, लेकिन बदले में हमें करगिल और पहलगाम जैसे हमले मिले। उन्होंने कहा कि पहलगाम में धर्म पूछकर हत्याएं की गईं।

प्रणय ने कहा कि आतंकियों से बहस नहीं होती, सीधा हिसाब होता है। अब वार्ता का नहीं, वार का समय है। हक छीनना पड़ता है, कोई देता नहीं।

संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं- दीवा

ग्वालियर की छात्रा दीवा शर्मा ने पहलगाम में हाल के आतंकी हमले का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि 22 अप्रैल को हुए हमले के दौरान दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्र में एक भी सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं था? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सीमाओं पर पटाखे जलाने से वह सुधरने वाला नहीं। हमें संयुक्त राष्ट्र के जरिए उस पर वैश्विक प्रतिबंध लगवाने चाहिए। दीवा ने कश्मीरियों को रोजगार देकर विश्वास बहाल करने की जरूरत पर जोर दिया।

27 साल में 41 हजार से ज्यादा मौतें- ध्रुव

जोधपुर के छात्र ध्रुव जैन ने कश्मीर में पिछले 27 साल में 41 हजार से ज्यादा मौतों का हवाला देते हुए कहा, "दुनिया हमें संयम बरतने की सलाह देती है, लेकिन हम कब तक ताबूत देखते रहेंगे? उन्होंने सवाल उठाया कि जब 150 आतंकियों को पकड़ने के लिए 70 हजार जवान तैनात हैं, तब भी पहलगाम जैसे हमले कैसे हो जाते हैं?

ध्रुव ने कहा कि हमारे देश में जहां किसान लाल किले तक नहीं पहुंच पाते, वहां चार आतंकी सीमा पार कर पहलगाम पहुंच जाते हैं।

POK वापसी का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित

युवा संसद में POK को पाकिस्तान से वापस लेने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। इस प्रस्ताव को कश्मीरी छात्रा हदीका ने पेश किया था। बहस में किसी ने भी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान नहीं किया। बताते चलें कि युवा संसद का महत्वयुवा संसद का आयोजन युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श का मंच प्रदान करता है।