Bihar Assembly Elections 2025 : बिहार में विशेष पुनरीक्षण संशोधन (SIR) के बाद 65 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। चुनाव आयोग ने बताया है कि 7.96 करोड़ रजिस्टर मतदाताओं में से ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 22.34 लाख वोटर मृत मिले, 36.28 लाख कहीं और ट्रांसफर हो गए और 7.01 लाख का नाम कई जगह दर्ज मिले। इन लोगों के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। कुल मिलाकर यह संख्या 65.63 लाख (8.31%) बैठती है। इनमें सर्वाधिक वोटरों के नाम पटना जिले से हटाए गए हैं, जबकि मधुबनी और पूर्वी चंपारण दूसरे व तीसरे नंबर पर हैं। अब सवाल यह उठता है कि 65 लाख वोटरों का नाम कटना 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को कैसे प्रभावित करेगा।
जानकार बताते हैं कि जिन सीटों पर वोटरों के नाम हटाए गए हैं, वहां पर SIR 3 तरह से असर डालेगा। पहला, जहां वंचित, दलित व गरीब वर्ग का वोटर शामिल है, जो SIR में औपचारिक दस्तावेज नहीं दे पाया और नाम कट गया। दूसरा, मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर जो राजद-कांग्रेस गठजोड़ का खास वोट बैंक रहे हैं। तीसरा, बिहार में 2020 के चुनाव में कुल मतदान 54.63 फीसदी था। इसमें विभिन्न दलों का वोट प्रतिशत आरजेडी 23.1%, बीजेपी 19.5%, जदयू 15.4% और कांग्रेस 9.5 % रहा था। उस समय वोटरों की संख्या 7.06 करोड़ थी। अब SIR के पूरा होने के बाद 7.96 करोड़ में से बिहार में 7.24 करोड़ वोटर बचे हैं। 65 लाख के नाम कटने के बाद विधानसभा चुनाव में मतदान कम होने की आशंका है।
राजनीति विश्लेषक चंद्रभूषण बताते हैं कि विधानसभा चुनाव की बात करें तो 1000 वोट के अंतर से भी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होता है। बिहार में 243 सीटें हैं, ऐसे में 65 लाख लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कट जाना चुनावी नतीजे पर बड़ा असर डाल सकता है। यानी जिन सीटों पर वोटरों की संख्या ज्यादा कम होगी, वहां चुनावी परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन किस दल को फायदा होगा, यह अनुमान लगा पाना मुश्किल है।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 11 सीट ऐसी थीं, जहां 1000 से कम वोट से प्रत्याशी जीते थे। वहीं 35 सीट ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर 3000 से कम वोट था। 52 सीट ऐसी थीं, जहां 5000 से कम वोट पर जीत मिली थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में आंकड़े अलग थे। मसलन 8 सीट ऐसी थीं, जिन पर 1000 वोट से कम पर प्रत्याशी जीते थे। 15 सीट पर 3000 से कम वोट और 32 सीट पर 5000 से कम वोट से हार-जीत का फैसला हुआ था।
बिहार में 243 विधानसभा सीट में अगर 65 लाख वोटर कट जाएंगे तो हर सीट से कम से कम 26749 वोटर कम हो जाएंगे। लेकिन यह वास्तविक आंकड़ा नहीं हो सकता। क्योंकि अलग-अलग सीट पर वोटरों के नाम कटने की संख्या कहीं ज्यादा तो कहीं कम है। इसलिए जहां ज्यादा वोटरों के नाम कटेंगे, वहां का चुनावी नतीजा प्रभावित होने के आसार बनते हैं।
भारत के लोकसभा चुनाव में वोटों का अंतर 10 से 20 फीसदी के बीच होता है। यानी एक लाख से दो लाख वोट का अंतर कहा जा सकता है। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार में 20 सीटें ऐसी थीं, जिन पर हार-जीत का अंतर एक लाख वोट से कम था। अब सवाल उठता है कि किस दल को ज्यादा सीटें मिलीं? इन 20 सीटों में बीजेपी को 6, जदयू को 5, कांग्रेस को 3, राजद को 3, सीपीआई एमएल को 1 और लोजपा को 1 और 1 पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता था। यानी सत्ता पक्ष के एनडीए गठबंधन को 11 सीटें तो विपक्ष के महागठबंधन को 6 और बाकी दल बची सीटों पर जीते थे।
Updated on:
02 Aug 2025 05:54 pm
Published on:
02 Aug 2025 05:51 pm