CG Crime Graph: राजधानी रायपुर की तस्वीर बदल रही है। आबादी लगातार तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ अपराध का ग्राफ भी ऊपर चढ़ रहा है। सालाना अपराध के आंकड़े अब 17 हजार से अधिक पहुंच चुके हैं, जो कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं। छोटे-मोटे अपराध से लेकर गंभीर आपराधिक घटनाएं अब रोजमर्रा की समस्या बन चुकी हैं।
शहर में चाकूबाजी और मर्डर की घटनाएं सबसे बड़ी चिंता का कारण बन गई हैं। आए दिन होने वाली चाकूबाजी की वारदातें न सिर्फ लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा कर रही हैं बल्कि शहर के माहौल को भी खराब कर रही हैं। इसके साथ ही साइबर फ्रॉड, नशे का गोरखधंधा, मवेशी तस्करी, संगठित अपराध, ऑनलाइन सट्टा, धर्मांतरण और विदेशियों की घुसपैठ जैसे मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। यह विविध अपराध बताता है कि राजधानी का अपराध जगत अब और संगठित और जटिल होता जा रहा है।
शहर में चाकूबाजी और हत्या बदमाश बेखौफ होकर कर रहे हैं। इस साल अलग-अलग थाना क्षेत्रों में 40 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं और चाकूबाजी की करीब 50 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अधिकांश आरोपियों का कोई पुराना केस नहीं है।
नशे का गोरखधंधा भी ज्यादा हो गया है। अब पाकिस्तान से ड्रग्स पहुंचने लगा है। गांजा, शराब के बाद कफ सिरप और गोली बेचते थे, लेकिन अब हेरोइन और एमडीएमए जैसे ड्रग्स सुनियोजित ढंग से रायपुर पहुंच रहे हैं। इसे संगठित गिरोह चला रहे हैं।
राजधानी होने के बावजूद यहां धर्मांतरण और मवेशी तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसके अलावा साइबर क्राइम और सोशल मीडिया से जुड़े मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन सट्टा भी कई लोग संगठित होकर चला रहे हैं।
वर्ष 2024 में रायपुर जिले में कुल 17 हजार 193 केस दर्ज हुए हैं, जो वर्ष 2023 में 16 हजार 125 था। करीब 1 हजार मामले अधिक दर्ज हुए हैं। वर्ष 2025 में जनवरी से अगस्त के बीच 7 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, चोरी, नकबजनी, धोखाधड़ी जैसे गंभीर मामले वर्ष 2021 में 2471 दर्ज हुए थे। वर्ष 2022 में 2884, वर्ष 2023 में करीब 2963, वर्ष 2024 में 2608 दर्ज हुए हैं।
फिलहाल रायपुर जिला पुलिस प्रशासनिक ढांचे पर काफी हद तक निर्भर है। बदमाशों और अपराधियों के खिलाफ जिलाबदर या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसी सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस को जिला प्रशासन की मंजूरी लेनी पड़ती है। कई बार प्रशासनिक देरी और समन्वय की कमी के कारण अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती। नतीजतन, अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
देश के कई बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पहले से लागू है। इस व्यवस्था में पुलिस को न केवल अपराध रोकने बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी त्वरित निर्णय लेने का अधिकार होता है। यानी, जिला प्रशासन पर निर्भर हुए बिना पुलिस अपराधियों पर सीधे जिलाबदर, एनएसए, प्रतिबंधात्मक कार्रवाई और कड़ी कानूनी कार्यवाही कर सकती है।
अपराधियों पर कार्रवाई तेज़ और प्रभावी होगी।
संगठित अपराध और नशे के कारोबार पर काबू पाया जा सकेगा।
नागरिकों को सुरक्षा का बेहतर भरोसा मिलेगा।
पुलिस की जवाबदेही और कार्रवाई की क्षमता दोनों मजबूत होंगी।
Published on:
17 Aug 2025 02:40 pm