Martyrs Mohan Kathat: ब्यावर जिले के रायपुर उपखंड के ग्राम सोढ़पुरा (नानणा) निवासी नायक मोहन काठात 25 वर्ष पूर्व 8 मई 1999 को करगिल युद्ध में द्रास सेक्टर नियंत्रण रेखा के निकट वीरता दिखाते हुए शहीद हो गए। वे भारतीय थलसेना में यूनिट 16 ग्रेनडियर्स में तैनात थे।
जब मोहन काठात शहीद हुए तब उनकी वीरांगना शांति देवी गर्भवती थीं। पति की शहादत के चार दिन बाद 12 मई को उन्होंने इकलौती संतान पुत्री कमला को जन्म दिया। शहीद के पिता बाबू काठात पहले ही दुनिया छोड़ गए थे।
शहीद काठात की पुत्री कमला ने बताया कि उसके सिर से पिता का साया मां की कोख में ही छिन गया। पिता की शहादत के चार दिन बाद उसके जन्म की खुशी बौनी साबित हुई। जेहन में पिता को मां की कोख में ही खो देने का मलाल तो है, लेकिन शहीद की बेटी कहलाने का गर्व भी है। यह कहते हुए कमला की आंखें भर आईं।
शहीद की वीरांगना शांति देवी ने बताया कि पिछली सरकार ने गांव में शहीद की मूर्ति लगाने की घोषणा की। सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष रहे प्रेम सिंह बाजोर ने परिवार से मुलाकात की। तभी उन्होंने गांव में मूर्ति लगाने की बात दोहराई थी। सरकार बदली तो मूर्ति लगाने की घोषणा भी अधूरी रह गई।
हालांकि सरकार ने बेटी को सरकारी नौकरी व गांव का सरकारी स्कूल शहीद के नाम से कर दी। शहीद के परिवार को ब्यावर में एक पेट्रोल पंप व जमीन की जगह वित्तीय सहायता दी गई।हालांकि, शहीद की मूर्ति की कमी खल रही है।
बेटी कमला बताती हैं कि जब वह तीन वर्ष की हुईं और बोलने लगीं तो मां से पिता के बारे में पूछा। मां ने तस्वीर से फूलों का हार हटाकर पिता का चेहरा दिखाया। तब से लेकर आज तक शहीद पिता को उसी तस्वीर में देखती आ रही हैं।
कमला वर्तमान में जालोर कलक्ट्रेट में एलडीसी के पद पर कार्यरत हैं। वहीं उनके पति भी सेना में है। शहीद की मां फूंदी काठात अपने छोटे बेटे के साथ सोढ़पुरा में ही रहती हैं। वहीं, शहीद की वीरांगना अधिकतर ब्यावर रहती हैं। शहीद के एक भाई रवि काठात की कुछ माह पूर्व एक हादसे में मौत हो गई। अभी एक भाई मुन्ना काठात है।
Updated on:
04 Aug 2025 05:01 pm
Published on:
04 Aug 2025 03:32 pm