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भारत और दुनिया में बारिश के दौरान डूबने वाले लोगों के आंकड़े चौंकाने वाले, WHO की रिपोर्ट से जानें सच

मानसून के दौरान डूबने से मौतों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इस मौसम में नदी, तालाब और झरनों पर जानें से बचें।

भारत

MI Zahir

Aug 03, 2025

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बांग्लादेश में डूबने से मौतें होने के बाद सभी को सावधान होने की जरूरत है।(प्रतीकात्मक फोटो: IANS)

Drowning incidents during monsoon: मानसून के दौरान सैर सपाटे के दौरान जलाशयों पर नहाना खतरनाक है। क्यों कि बारिश के दिनों में नदी, तालाब, झरने और जलाशयों के पास जाने की प्रवृत्ति सुरक्षित नहीं है। हर साल हजारों लोग नहाने या आसपास घूमते समय लापरवाही की वजह से अपनी जान गंवाते हैं। बांग्लादेश में जनवरी से जून 2025 के बीच कॉक्सबाजार समंदर किनारे कम से कम 62 लोगों की डूबने (drowning deaths) से मौत हुई है। इनमें से 12 हादसे समंदर के प्रमुख और भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए। ऐसा दूसरे देशों में भी हुआ है। बच्चे अक्सर नदी, नाले, झरने, तालाब और समंदर नहाने चले जाते हैं, जहां निगरानी (water body safety) का कोई सिस्टम नहीं होता। कई बार छुट्टी के दिन या स्कूल के बाद बच्चे बिना किसी वयस्क की निगरानी के तैरने चले जाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं (rain season accidents) हो जाती हैं। यह जनहित की गंभीर समस्या है और तुरंत जागरूकता की आवश्यकता है।

दुनिया में 300,000 लोग डूबने से मरे (global drowning statistics)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2021 में लगभग 300,000 लोग डूबने की वजह से मारे गए, जो आकस्मिक मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण है। इनकी तुलना में संक्रामक बीमारियों से मौतों का प्रतिशत देखें तो यह आंकड़ा डरावना रूप ले लेता है- यह अनुमानित रूप से रोगों जैसे मलेरिया से होने वाली वार्षिक मौतों का लगभग 85% है।

कुछ देशों में डूबने की वार्षिक स्थिति (उपलब्ध डेटा आधारित)

यूएसए: बच्चों (1–14 वर्ष) में डूबना अवांक्षित चोट से होने वाली मौतों में दूसरा प्रमुख कारण है।
यूरोप: EU में 2017 में लगभग 5,100 मौतें हुईं; इनमें सबसे अधिक Latvia (5.6 प्रति 100,000) और लिथुआनिया में (4.8) में हुईं। अन्य: विश्व स्तर पर प्रति वर्ष लगभग 175,000 बच्चे डूब कर मरते हैं, जिनमें से 50% से अधिक की उम्र 5 वर्ष से कम होती है।

वैश्विक कारक: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रति वर्ष लगभग 3 लाख लोग डूबने से मरते हैं और इनमें से 90% घटनाएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। हमारे दक्षिण एशिया और पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक मौतें होती हैं

भारत में 38,500 लोगों की डूबने की वजह से मौत हुई (monsoon drowning India)

वर्ष 2022 में NCRB के अनुसार वर्ष 2022 में भारत में लगभग 38,500 लोगों की मौत डूबने की वजह से हुई,, जो सभी आकस्मिक मौतों में 9.1% हिस्सा था। इनमें सबसे ज्यादा घटनाएं नदियों और तालाबों में दर्ज की गईं। मानसून के दौरान यह खतरा और भी बढ़ जाता है, खासकर ग्रामीण इलाकों और बच्चों के लिए।

प्रमुख राज्यों की स्थिति

मध्य प्रदेश: 5,427 मौतें।

महाराष्ट्र: 4,728 मौतें।

उत्तर प्रदेश: 3,007 मौतें।

कर्नाटक: 2,827 मौतें।

राजस्थान, पंजाब, बंगाल, छत्तीसगढ़, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में भी हजारों मौतें दर्ज हुईं।

मानसून के दौरान बच्चों के डूबने की घटनाएं लगभग 58% तक बढ़ गईं

बिहार में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया कि मानसून के दौरान बच्चों के डूबने की घटनाएं लगभग 58% तक बढ़ जाती हैं। इसका मुख्य कारण है जलाशयों के आसपास सुरक्षा उपायों की कमी, जैसे कि लाइफगार्ड, चेतावनी संकेत और स्थानीय जागरूकता कार्यक्रम।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य – दुनिया में डूबने की घटनाएँ

समय रहते सरकार और स्थानीय निकाय जलाशयों के किनारे बचाव इंतजाम और जागरूकता अभियान चलाएं, तो इन मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

क्षेत्रवार विभाजन (WHO रिपोर्ट, 2021)

90% से अधिक डूबने वाले मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होते हैं।

क्षेत्रीय रूप से वेस्टर्न पैसिफिक और साउथ-ईस्ट एशिया में सर्वाधिक मौतें होती हैं — प्रत्येक क्षेत्र में लगभग 28% विश्वव्यापी मैदानी आकस्मिक मौतें दर्ज होती हैं।

जबकि अफ्रीकी क्षेत्र में प्रति 100,000 आबादी में मृत्यु दर सबसे अधिक है (≈5.6), यूरोप में 68% तक गिरावट दर्ज की गई है।

रोकें और समझाएं

जोखिम कारक: 1 से 14 साल की उम्र के बच्चों में डूबना तीसरी सबसे बड़ी आकस्मिक मृत्यु का कारण है। यह असाधारण रूप से जोखिम भूखे, दूरदराज इलाकों और सूखाग्रस्त परिवारों में सबसे अधिक होता हैं।

रोकथाम का मॉडल: WHO की वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि अगर बच्चों को तैराकी और जल सुरक्षा सिखाई जाए और बचपन से ही जागरूकता बढ़ाई जाए, तो अगले दशकों में लाखों जानें बचाई जा सकती हैं।

जहां निगरानी का कोई सिस्टम नहीं होता

बालकों, किशोरों और युवाओं में बारिश के दिनों में इतना जोश होता है कि लॉन्ग ड्राइव के बाद किसी जलाशय के पास जाना
और वहां नहाने का उनमें पैशन होता है, इस जोश में उन्हें यह ध्यान नहीं रहता कि कहीं वे कोई ऐसी लापरवाही तो नहीं कर रहे, जो उनकी जान पर बन जाती है। कोई तैरते तैरते दूर निकल जाता है तो कोई गहराई में पहुंच जाता है। इ​सलिए सावधानी बहुत जरूरी है ।