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Explainer: आखिर बार-बार अमेरिका क्यों जा रहे हैं मुनीर, जानिए क्या है अंदर की बात

Pakistan US Relations 2025: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की अमेरिका यात्राएं सिर्फ सैन्य या औपचारिक नहीं हैं, बल्कि इनका मकसद आर्थिक मजबूरी, कूटनीतिक दबाव और सामरिक रणनीति को आगे बढ़ाना है।

भारत

MI Zahir

Aug 10, 2025

Pakistan US Relations 2025
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिकी सैन्य अफसर के साथ। ( फोटो: X Handle Faisal Ali Shah.)

Pakistan US Relations 2025: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir) हाल के महीनों में लगातार अमेरिका के दौरे कर रहे हैं, और यह सवाल उठने लगा है कि आखिर पाकिस्तानी फौज (Pakistani Army) के मुखिया को बार-बार वाशिंगटन (Pakistan US Relations 2025) क्यों जाना पड़ रहा है? इसके पीछे कई रणनीतिक और कूटनीतिक वजहें मानी जा रही हैं, जो सिर्फ पाकिस्तान के नहीं, बल्कि भारत और दक्षिण एशिया के लिए भी अहम हैं। यह सब देख कर लग रहा है कि​ पाकिस्तान की विदेश नीति में सेना की भूमिका अब सिर्फ पर्दे के पीछे नहीं, बल्कि पूरी तरह से सामने आ चुकी है।

वर्ल्ड बैंक और IMF के भरोसे अर्थव्यवस्था

पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब है। देश कर्ज में डूबा हुआ है और लगातार डिफॉल्ट के खतरे से जूझ रहा है। वर्ल्ड बैंक और IMF जैसे संस्थानों से राहत पाने के लिए अमेरिका का समर्थन बेहद जरूरी है। ऐसे में मुनीर की यात्राएं आर्थिक राहत पैकेज की पैरवी के रूप में देखी जा रही हैं। पाकिस्तान की सेना आर्थिक नीति में भी बड़ी भूमिका निभा रही है, इसलिए सेना प्रमुख का खुद जाना कोई सामान्य बात नहीं।

भारत से बढ़ते तनाव की कूटनीतिक चाल

भारत की ओर से हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के ज़रिये आतंकवादियों पर की गई बड़ी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की फौज पर आंतरिक दबाव बढ़ा है। भारत अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है और सीमा पर सक्रियता बढ़ी है। ऐसे में मुनीर की अमेरिका यात्राएं एक तरह से भारत को संतुलित करने की कोशिश हैं, ताकि अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग या सहानुभूति हासिल की जा सके।

भारत को चिढ़ाने और अमेरिका की नज़दीकियों को संतुलित करने का प्रयास

अमेरिका और भारत के बीच रक्षा, तकनीक और व्यापारिक संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं। पाकिस्तान इस बढ़ती नज़दीकी से असहज है। मुनीर की यात्राएं दरअसल अमेरिका को यह याद दिलाने की कोशिश हैं कि पाकिस्तान भी रणनीतिक रूप से अहम है। यह एक प्रकार से कूटनीतिक जलन भी मानी जा सकती है—भारत को यह दिखाने के लिए कि अमेरिका अब भी पाकिस्तान को नजरअंदाज नहीं कर सकता। भारत और अमेरिका के बीच लगातार गहराते संबंधों को देखकर पाकिस्तान चिंतित है। मुनीर के अमेरिका दौरे भारत के बढ़ते प्रभाव को बैलेंस करने की एक कोशिश हैं। वह अमेरिका को यह संकेत देना चाहते हैं कि पाकिस्तान भी एक अहम रणनीतिक सहयोगी हो सकता है।

ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में ताकत बढ़ाने की कोशिश ?

भारत की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक्स और आतंकवाद पर कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान भी अपनी सेना को मज़बूत करने में लगा है। अमेरिका से सैन्य उपकरण, खुफिया जानकारी और तकनीकी सहायता हासिल करने के लिए मुनीर सीधे अमेरिकी सैन्य नेतृत्व से बात कर रहे हैं। इसका मकसद फौजी ताकत को नए स्तर पर पहुंचाना है।

अफगानिस्तान और क्षेत्रीय सुरक्षा में भूमिका दिखाना

पाकिस्तान खुद को अफगानिस्तान, ईरान और चीन के बीच एक अहम खिलाड़ी के रूप में पेश करना चाहता है। मुनीर का मकसद यह दिखाना है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय स्थिरता में कुंजी भूमिका निभा सकता है, जिससे अमेरिका को उसकी जरूरत बनी रहे।

सैन्य उपकरण और खुफिया साझेदारी

मुनीर अमेरिका से उन्नत हथियार, तकनीक और खुफिया सहयोग की भी मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान की सेना अमेरिकी तकनीक और डाटा शेयरिंग पर काफी हद तक निर्भर रही है, और मुनीर इसे बहाल रखने की कोशिश में हैं।

प्रवासी पाकिस्तानियों को साधना

मुनीर अमेरिकी दौरे पर प्रवासी पाकिस्तानियों (डायस्पोरा) से भी मुलाकात कर रहे हैं, ताकि वे पाकिस्तान में निवेश करें और देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतर बनाएं।

भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद का फायदा उठाने की रणनीति

अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है। ऐसे समय में पाकिस्तान को लग रहा है कि वह अमेरिका के साथ नई व्यापारिक साझेदारी कर सकता है। मुनीर की यात्राएं इस दिशा में एक कूटनीतिक दांव हो सकती हैं, जिसमें पाकिस्तान अमेरिका से यह जताना चाहता है कि वह भारत के मुकाबले एक "विकल्प" बन सकता

पाकिस्तान की दोहरी नीति: एक ओर ईरान, दूसरी ओर अमेरिका

जब इज़राइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ा, तो पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि अगर इज़राइल ईरान पर हमला करता है तो पाकिस्तान, ईरान के साथ खड़ा रहेगा। यह बयान पाकिस्तान की मुस्लिम दुनिया में एकजुटता दिखाने की कोशिश के रूप में देखा गया। अब वही पाकिस्तान, बार-बार इजराइल के मित्र अमेरिका का दौरा कर रहा है, जहां उसके सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिकी सैन्य अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं और सैन्य सहयोग मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका वही देश है जो इज़राइल का सबसे बड़ा समर्थक और रक्षा भागीदार है।

पाकिस्तान की विदेश नीति में फौज की बढ़ती भूमिका

बहरहाल मुनीर के बार-बार अमेरिका जाने के पीछे सिर्फ दोस्ती निभाना नहीं, बल्कि एक गहरी रणनीति है-अर्थव्यवस्था बचाना, सेना को मज़बूत करना, अमेरिका से अपनी अहमियत को बनाए रखना और भारत को कूटनीतिक रूप से चुनौती देना। यह सब मिलकर पाकिस्तान की विदेश नीति में फौज की बढ़ती भूमिका को भी उजागर करता है, जहां सेना ही असल फैसले ले रही है।