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NCERT की किताब में राजस्थान को बताया मराठा साम्राज्य का हिस्सा, भड़के पूर्व राजपरिवार; जानें क्या है पूरा विवाद?

NCERT Class 8 History Map Error: NCERT की कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में प्रकाशित एक मानचित्र ने राजस्थान में एक नए विवाद को जन्म दिया है।

NCERT Class 8 book controversy
(राजस्थान पत्रिका फोटो)

NCERT Class 8 History Map Error: नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में प्रकाशित एक मानचित्र ने राजस्थान में एक नए विवाद को जन्म दिया है। इस मानचित्र में मराठा साम्राज्य के विस्तार को गलत तरीके से दर्शाया गया है, जिसमें मेवाड़, जैसलमेर, बूंदी और अलवर सहित राजस्थान की कई रियासतों को 1759 में मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है।

इस दावे ने राजस्थान के पूर्व राजपरिवारों और नेताओं में आक्रोश पैदा कर दिया है। पूर्व राजपरिवार इसे ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ और राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को कमजोर करने की साजिश मान रहे हैं। मेवाड़, जैसलमेर, बूंदी और अलवर के पूर्व राजघरानों के सदस्यों ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताया है और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

विवाद का केंद्र- NCERT का गलत नक्शा

NCERT की कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक “Exploring Society: India and Beyond” के तीसरे अध्याय में शामिल एक मानचित्र में मराठा साम्राज्य को कोल्हापुर से कटक और उत्तर में पेशावर तक फैला हुआ दिखाया गया है। इस नक्शे में राजस्थान की प्रमुख रियासतों- मेवाड़, जैसलमेर, बूंदी, अलवर, मारवाड़, बीकानेर और जयपुर को मराठा साम्राज्य के अधीन दर्शाया गया है।

यह दावा ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत माना जा रहा है, क्योंकि 18वीं सदी में राजस्थान की रियासतें अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए प्रसिद्ध थीं। इन रियासतों ने मुगल, मराठा और अंग्रेजों के खिलाफ अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए लगातार संघर्ष किया था।

राजस्थान के पूर्व राजपरिवारों का कहना है कि मराठों का राजस्थान में प्रभाव केवल छापेमारी और चौथ (कर) वसूली तक सीमित था। मराठा साम्राज्य ने कभी भी इन रियासतों पर पूर्ण प्रशासनिक या सैन्य नियंत्रण स्थापित नहीं किया। इतिहासकारों और राजपरिवारों के अनुसार, राजस्थान की रियासतें अपनी सैन्य शक्ति, शासन व्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान के लिए जानी जाती थीं।

क्या है इसके ऐतिहासिक तथ्य?

ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार, मराठा साम्राज्य का विस्तार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों तक सीमित था। 18वीं सदी में मराठों ने राजस्थान की रियासतों पर छापेमारी और चौथ वसूली के लिए कई बार आक्रमण किए, लेकिन उन्होंने कभी इन रियासतों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित नहीं किया।

राजस्थान की रियासतें- मेवाड़, मारवाड़, जैसलमेर, बीकानेर, जयपुर, अलवर और भरतपुर—अपनी स्वायत्तता और सैन्य शक्ति के लिए जानी जाती थीं। इन रियासतों ने मुगल, मराठा और अंग्रेजों के खिलाफ अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया।

जैसलमेर का इतिहास विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 1178 में रावल जैसल द्वारा स्थापित, जैसलमेर ने 770 वर्षों तक अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा। मुगल, खिलजी, राठौड़ और तुगलक जैसे शक्तिशाली साम्राज्यों के आक्रमणों के बावजूद, जैसलमेर ने कभी समर्पण नहीं किया। अंग्रेजी शासन के दौरान भी इस रियासत ने अपनी सांस्कृतिक और शासकीय पहचान को बनाए रखा। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, जैसलमेर भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया।

पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों ने जताया विरोध

इस नक्शे को ऐतिहासिक रूप से गलत और भ्रामक बताते हुए मेवाड़ के पूर्व महाराणा और विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इसे तथ्यहीन और एजेंडा-चालित करार दिया है। उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा कि NCERT ने मेवाड़ को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताकर न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा है, बल्कि मेवाड़ के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई है। पहले हमें मुगलों और अंग्रेजों के अधीन बताया गया, और अब मराठों के अधीन? यह शर्मनाक है।

यहां देखें वीडियो-


उन्होंने सवाल उठाया कि NCERT में पढ़ाने वाले शिक्षाविद कौन हैं, जो ऐतिहासिक तथ्यों से अनजान हैं। विश्वराज सिंह ने केंद्र सरकार और NCERT से इस मानचित्र को संशोधित करने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वहं, जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह भाटी ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि जैसलमेर ने कभी भी मुगल, मराठा या अंग्रेजों के सामने समर्पण नहीं किया। NCERT का यह नक्शा ऐतिहासिक सत्य को विकृत करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों के समय से ही इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का सिलसिला चला आ रहा है। भाटी ने मांग की कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री और सरकार इस गलती को तुरंत सुधारें और इतिहास का शुद्धिकरण करें।

बूंदी के पूर्व राजघराने के सदस्य और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) भूपेश सिंह हाड़ा ने इसे कपोल-कल्पित साम्राज्य का नक्शा बताया। उन्होंने कहा कि हम कभी मराठों के अधीन नहीं थे। यह नक्शा राजस्थान के शूरवीर शासकों की वीरता और स्वतंत्रता को कमजोर करने की कोशिश है। उन्होंने NCERT से आग्रह किया कि वे बच्चों का 'ब्रेनवॉश' करना बंद करें और ऐतिहासिक तथ्यों को सही ढंग से प्रस्तुत करें।

अलवर के पूर्व राजघराने के सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने भी इस नक्शे की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इतिहास को तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत करना चाहिए, न कि राजनीतिक या क्षेत्रीय एजेंडों के आधार पर। यह नक्शा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।

नेताओं ने दी ये प्रतिक्रिया

इस विवाद ने राजनैतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने NCERT की किताबों पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा जब भी सत्ता में आती है, इतिहास को बदलने की कोशिश करती है। आजादी के नायकों जैसे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम तक नहीं लिया जाता। यह गलत इतिहास लिखने की साजिश है।

दूसरी ओर, भाजपा सांसद सीपी जोशी ने जवाब दिया कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक हक नहीं। उनके शासनकाल में अकबर को महान और महाराणा प्रताप को भगोड़ा बताया गया। हम केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलकर इस गलती को सुधारेंगे और यह पता लगाएंगे कि किन लेखकों ने यह गलत नक्शा तैयार किया।

NCERT क्या है?

NCERT की स्थापना 1961 में हुई थी, जिसका उद्देश्य देश में एक समान शैक्षिक पाठ्यक्रम तैयार करना है। NCERT की पुस्तकें राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे (NCF) के आधार पर तैयार की जाती हैं, जिसमें शिक्षाविदों और विषय विशेषज्ञों की एक समिति शामिल होती है। इस समिति में 12 सदस्य होते हैं, जो विभिन्न कक्षाओं और विषयों के लिए शैक्षिक सामग्री तैयार करने में मार्गदर्शन करते हैं। इस विवाद ने NCERT की पाठ्यपुस्तक निर्माण प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं।