
Suman Sakhi Chatbot: फोटो: सोशल मीडिया modified by patrika.com
MP News: क्या आपने कभी सोचा है कि गांव की एक महिला, जिसे वाहन की कमी, मौसम की खराबी के बीच चारपाई पर बैठाकर कभी नदी, कभी कीचड़, कभी बारिश में परिजन स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, किसी ने रास्ते में दम तोड़ा, तो किसी को प्रसव भी हुआ, लेकिन अब ऐसे परिवारों के साथ है SUMAN SAKHI, AI बेस्ड चैटबॉट, जो घर बैठे दे रहा जानकारी, हर समस्या का समाधान, डिजिटल दाई मिलने से आसान भले ही हो रही राह, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं..
मातृ एवं शिशु की सेहत को डिजिटल रूप में सशक्त करने की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार की 'Suman Sakhi' चैटबॉट की पहल रंग ला रही है। जो व्हाट्सऐप पर महिलाओं से सीधा संवाद कर रहा है। सरकार के सुरक्षित मातृत्व आश्वासन(SUMAN) कार्यक्रम से जुड़ा यह चैटबॉट, अब स्वास्थ्य केंद्र जाने से पहले ही प्राथमिक जानकारी और सलाह उपलब्ध करवा रहा है। patrika.com ने AI बेस्ड इस मातृत्व स्वास्थ्य सेवा का लाभ पाने की प्रक्रिया जानने के लिए जब Suman sakhi से खुद बात की तो, ये अनुभव बड़ा ही रोचक रहा… चैट शुरू करते ही सुमन सखी ने कहा… नमस्ते! मध्यप्रदेश के सुमन सखी चैटबॉट-सुरक्षित मातृत्व आश्वासन में आपका स्वागत है…इस बातचीत के साथ ही और बताए अपने सारे काम… साथ में आया ऑप्शन- मुख्य मेन्यू… अगर आप भी हैं महिला और मातृत्व के सुख की ओर कदम बढ़ा रही हैं, तो ये खबर आपके काम की है…
17 सितंबर 2025 को पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर और आयुष्मान भव: अभियान के तहत स्वास्थ्य सेवा पखवाड़े में इसकी शुरुआत की थी। राज्य स्तरीय ये कार्यक्रम मध्य प्रदेश के धार जिले में आयोजित किया गया था। जहां से पीएम मोदी ने देश के पहले डिजिटल हेल्थ असिस्टेंट Suman Sakhi चैटबॉट लॉन्च किया। पीएम मोदी ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत की।
व्हाट्सऐप बेस्ड Suman Sakhi एआई हेल्थ असिस्टेंट एक ऐसा चैटबॉट है जो मातृ और शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी तुरंत देता है। इस अर्थ में डिजिटल हेल्थ असिस्टेंट की ये पहल प्राथमिक जानकारी के लिए एक बेस्ट महिला स्वास्थ्य सेवा है। सुरक्षित मातृत्व आश्वासन कार्यक्रम (SUMAN)से जुड़ी इस सेवा का उद्देश्य हर गर्भस्थ महिला तक स्वास्थ्य सलाह पहुंचाना है।
इस चैटबॉट से जुड़ने के लिए महिलाओं को केवल इसके व्हाट्सऐप नंबर पर Hi टाइप करना होता है। Hi लिखते ही वे इस चैटबॉट से गर्भावस्था से संबंधित हर प्राथमिक जानकारी प्राप्त कर सकती हैं। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के बारे में पता कर सकती हैं। टीकाकरण से लेकर गर्भावस्था में कब खतरा, कब क्या करना है, गर्भस्थ मां और जननी की आशंका का हर समाधान Suman Sakhi पर मिल जाएगा।
हालांकि Suman Sakhi की पहुंच सैकड़ों महिलाओं तक हो चुकी है। लेकिन यह चैटबॉट फिलहाल मेन्यू बेस्ड कन्वर्सेशन ही करता है। रियल टाइम कन्वर्सेशन के लिए फिलहाल इस पर कोई सुविधा नहीं है। क्यों कि मेन्यू में उपलब्ध जानकारी से अलग जब patrika.com ने गर्भस्थ महिला के रूप में इस व्हाट्सऐप चैटबॉट पर जब अपनी समस्या बताई कि हाल ही में मेरी डिलिवरी हुई है, मेरे बच्चे को बहुत तेज बुखार है क्या करूं? तो जवाब मिला… वही जब आप पहली बार बातचीत शुरू करते हैं.. नमस्ते!…. दो-चार घंटे बीतने के बाद भी इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला।
मध्यप्रदेश के इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम (MPSeDC) तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मिशम (NHM) ने मिलकर इस टेक्नोलॉजी पहल को आगे बढ़ाया है। विशेष रूप से ऐसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए जहां स्वास्थ्य केंद्र पहुंच से दूर हैं, यात्रा कठिन है और जानकारी का स्रोत कम या सीमित है। इस बीच मध्य प्रदेश सरकार का ये कदम संकेत है कि कैसे टेक्नोलॉजी स्वास्थ्य सेवा की दिशा में राज्य सरकारें सजग हो रही हैं।
- यह कहानी केवल मध्य प्रदेश की नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर डिजिटल हेल्थ तेजी से बढ़ रही है। मध्य प्रदेश की सुमन सखी पहल का महत्व वैश्विक संदर्भ में भी बडा़ नजर आ रहा है। दरअसल सरकार की ये पहल वैश्विक ट्रैंड के अनुरूप है कि, टेक्नोलॉजी के जरिये स्वास्थ्य सेवा को पहुंच और गति देना। दुनिया भर में तेजी से बढ़ी है डिजिटल हेल्थ असिस्टेंट की सेवा।
- WHO की ग्लोबल स्ट्रेटजी ऑन डिजिटल हेल्थ-2024-2025 के तहत जारी की गईनई गाइड लाइन में टेलीहेल्थ सेवाओं की सुलभता और उनके समावेश पर विशेष बल दिया गया है। खास तौर पर दिव्यांगजनों, ग्रामीण आबादी, सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों के लिए। मध्य प्रदेश जैसी पहल स्थानीय स्तर पर इसी वैश्विक स्वास्थ्य मिशन में योगदान दे रही है। जहां डिजिटल स्वास्थ्य का लक्ष्य है, प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वस्थ जीवन और कल्याण वो भी हर जगह।
-कई अध्ययन बताते हैं कि वैश्विक टेलिहेल्थ सेवाएं तेजी से अपनाई जा रही हैं। एक शोध के मुताबिक अमेरिका में 2020 में टेलीमेडिसिन की भागीदारी करीब 20% तक पहुंच गई थी। जबकि पहले ये संख्या काफी कम थी।
- मार्केट डेटा के मुताबिक 2024 में वैश्विक टलिहेल्थ मार्केट का अनुमान USD 123.26 बिलियन था और 2030 तक यह USD 455.27 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
-यही नहीं डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी में ऑर्बिट्री वृद्धि देखने को मिल रही है। जैसे डेटाबेस, वीयरेबल्स, चैटबॉट, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (AI) आधारित हेल्पिंग टूल।
जहां डॉक्टर-क्लीनिक तक महिलाओं की पहुंच मुश्किल थी, चैटबॉट या व्हाट्सऐप के माध्यम से स्वास्थ्य सूचना सीधे उपयोगकर्ता तक पहुंच सकती है।
यूजर्स अपनी सुविधा से प्रश्न पर टिक कर जानकारी पूर्व निर्धारित जवाब के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। गर्भावस्था में पूरी देखभाल, हाई रिस्क फैक्टर, स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी. टीकाकरण, खतरे आदि की जानकारी मिलने पर वे बेफिक्र होकर जीवन व्यतीत कर सकती हैं, जिससे गर्भस्थ मां और उसके गर्भस्थ शिशु की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव नजर आएंगे। एमपी मातृ और शिशु मृत्यु दर में अव्वल है, लेकिन इसके सही इस्तेमाल से इस दाग को धोया जा सकता है।
1- डिजिटल साक्षरता: इस स्वास्थ्य सेवा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है डिजिटल साक्षरता। ग्रामीण और शहरी महिलाओं के लिए शुरू की गई इस डिजिटल स्वास्थ्य सेवा लाभ लेने के लिए महिलाओं का मोबाइल फ्रेंडली होना जरूरी है। लेकिन स्मार्ट फओन या इंटरनेट का इस्तेमाल आज भी ज्यादातर ग्रामीण महिलाओं के लिए सहज नहीं है।
2- टेक्नोलॉजी-इंफ्रास्ट्रक्चर- इंटरनेट का कमजोर नेटवर्क कनेक्टिविटी में बडी़ बाधा है। भाषा और स्थानीय बोलियां इसे कमजोर बनाती हैं। क्योंकि ये फिलहाल हिंदी भाषा में ही उपलब्ध है। ऐसे शोध सामने आते रहे हैं, जो बताते हैं कि अलग-अलग क्षेत्रों और आबादी के बीच डिजिटल सेवा उपकरणों की पहुंच समान नहीं है।
3- गोपनीयता और डेटा सुरक्षा- स्वास्थ्य-सूचना बेहद संवेदनशील विषय है। इसलिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म, विश्वसनीयता, नियामक यानी रेगुलेशन का सख्त और सुदृढ़ होना चाहिए।
-4- विश्वास और अभिगम- यूजर्स वर्तमान में टेक्नोलॉजी से ज्यादा सहज नहीं हो सकते या उन्हें कुछ मानसिक या सांस्कृतिक बाधाएं परेशान कर सकती हैं।
तकनीकी एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सुमन सखई Rule-Based AI पर आधारित चैटबॉट है। इसका अर्थ है कि यह केवल निर्धारित किए गए सवालों और जवाबों पर काम करता है। भविष्य में इसमें नेचुरल लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग(NLU) और मशीन लर्निंग जोड़ने की योजना पर काम किया जाना चाहिए। जिससे यह उपयोग कर्ता के शब्दों और भाव के साथ ही सवालों को समझे। इसके अलावा उनका सुझाव ये भी है कि ABHA (Health ID) या आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि यूजर बेस हेल्थ डेटा रीयल टाइम में उपयोग किया जा सके।
जिन महिलाओं ने इस चैटबॉट का उपयोग किया उनमें से एक भोपाल की लक्ष्मी मिश्रा (बदला हुआ नाम) के मुताबिक 'यह ऐप यूज करना आसान है, लेकिन व्हाट्सऐप पर मैसेज कर हम मैन्यू से इतर कोई सवाल पूछते हैं, तो उसका जवाब नहीं आता।'
यूजर्स का ये फीडबैक बताता है कि डिजिटल स्वास्थ्य पहल की सबसे बड़ी ताकत उसकी सुलभता है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है उसकी संवाद क्षमता।
डिजिटल स्वास्थ्य सेवा का यह नया चेहरा है, अगर सरकार इसके अगले चरण में AI संवाद क्षमता जोड़े, ये असल मायनों में महिलाओं की सखी बन सकता है।
-डॉ. पयस्वी सचदेवा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, भोपाल
ये AI बेस्ड चैटबोर्ड है, चैट शुरू करते ही आपको जो जानकारी चाहिए मिल जाएगी। लेकिन इसकी जिम्मेदारी मातृत्व हेल्थ की टीम इसे संभाल रही है। उनसे ज्यादा डिटेल मिल सकेगी। पीएम मोदी ने अपने जन्मदिवस 17 सितंबर को लॉन्च किया था। व्हाट्सएप पर जानकारी देता है।
-डॉ. प्रभाकर तिवारी, डायरेक्टर, एनएचएम
सीएम के कार्यक्रम में बिजी हूं, बाद में बात करती हूं।
-डॉ. अर्चना, मातृत्व हेल्थ टीम, सुमन सखी
Published on:
02 Nov 2025 06:00 am
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