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क्या भारतवंशी ममदानी, ट्रंप से टकराव के बिना काम कर सकेंगे ? ग्लोबल संघर्ष और भारत कनेक्शन

Mamdani Trump Global Struggle India: न्यूयॉर्क के मेयर जोहरान ममदानी का ग्लोबल सिटी दृष्टिकोण और डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रवाद वैश्विक राजनीति में एक नया संघर्ष उत्पन्न कर रहे हैं।

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Mamdani Trump Global Struggle India

भारतवंशी जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बने हैं। फोटो: वॉशिंगटन पोस्ट, डिजाइन पत्रिका

Mamdani Trump Global Struggle India: न्यूयॉर्क में जोहरान ममदानी की जीत (mamdani primary results) से न्यूयॉर्क ही नहीं, यूएस के साथ भारत और दूसरे देशों की भी उम्मीदें वाबस्ता हो गई हैं। जहां एक ओर दुनिया भर में उभरते राजनीतिक विचारों के बीच एक दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण संघर्ष जारी है – ग्लोबल सिटी और राष्ट्रवाद। एक ओर है ममदानी (mamdani new york) का लोकतांत्रिक समाजवाद और ग्लोबल सिटी का विचार, तो दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप का 'अमेरिका फर्स्ट' और राष्ट्रवादी एजेंडा। ये दोनों विचारधाराएं भिन्न-भिन्न राजनीतिक क्षेत्रों से उभर कर सामने आई हैं और वैश्विक राजनीति पर गहरा असर डाल रही हैं। भारत एक ओर लोकतांत्रिक संस्थाओं और वैश्विक साझेदारी को महत्व देता है, इस संघर्ष के परिणामों से बच नहीं सकता। क्यों कि अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप पहले ही ये कह चुके हैं कि अगर जोहरान ममदानी (Zohran Mamdani Wins New York Poll) मेयर बनेंगे तो वे फंडिंग नहीं करेंगे। इससे पहले ममदानी मोदी और भारत पर नकारात्मक टिप्पणी कर चुके हैं। ऐसे में टकराव होना तो तय है।

पूरे ग्रह के लिए एक समावेशी समाज का निर्माण करने की कल्पना

वैसे ममदानी का ग्लोबल सिटी मॉडल किसी भी सीमा या राष्ट्रीयता से ऊपर उठ कर, पूरे ग्रह के लिए एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करने की कल्पना करता है। उनका मानना है कि दुनिया की समृद्धि का रास्ता "ग्लोबल सिटी" में निहित है, जहां सभी लोग समान अवसरों और अधिकारों के साथ एक-दूसरे के साथ काम करें। यह विचारधारा, खासकर उन देशों के लिए जिनकी आर्थिक और सामाजिक संरचनाएं वैश्विक कनेक्टिविटी पर निर्भर हैं, बहुत आकर्षक हो सकती है। वहीं ट्रंप का राष्ट्रवाद अमेरिका और अन्य विकसित देशों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति बन चुका है। उनका आदर्श "अमेरिका पहले" के सिद्धांत पर आधारित है, जो सीमाओं को मज़बूत करने और विदेश नीति में एकतरफा फैसलों को बढ़ावा देता है। ट्रंप का यह दृष्टिकोण वैश्विक सहयोग को नकारता है और देश की आंतरिक समस्याओं को प्राथमिकता देता है। उनका राष्ट्रवाद, जो विश्वभर में बढ़ रहा है, विकासशील देशों के लिए एक चुनौती हो सकता है, खासकर भारत जैसे देशों के लिए, जो वैश्विक बाजारों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनते जा रहे हैं।

नया मेयर और भारत पर असर

भारत के लिए यह संघर्ष सिर्फ वैश्विक राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसकी आंतरिक नीतियों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। भारत के वैश्विक संबंधों में जहां अमेरिका एक प्रमुख साझेदार है, वहीं भारत भी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आंतरिक विकास को प्राथमिकता देता है। ऐसे में मामदानी और ट्रंप के विचारों के बीच की खाई भारत को एक नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित कर सकती है।

टकराव और भारत के लिए सवाल

क्या भारत को ग्लोबल सिटी मॉडल को अपनाना चाहिए, जो समावेशी और लोकतांत्रिक समाज की ओर इशारा करता है, या फिर ट्रंप के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण की ओर बढ़ना चाहिए, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक शक्ति को प्राथमिकता देता है?

नई राजनीति और भारत की भूमिका

भारत एक लोकतांत्रिक और विविधता से भरा देश है, दोनों विचारधाराओं का संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। एक ओर जहां भारत की विदेश नीति में संप्रभुता और आत्मनिर्भरता की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर भारत अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार और बहुपक्षीय मंचों में सक्रियता भी बढ़ा रहा है। इस संघर्ष के दौरान भारत को ग्लोबल सिटी मॉडल के समावेशी दृष्टिकोण और राष्ट्रवाद के संरक्षणवादी सिद्धांतों के बीच संतुलन बनाना होगा। यह पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि कैसे एक विकासशील देश अपनी वैश्विक रणनीतियों और आंतरिक नीतियों के बीच एक सही मार्गदर्शन स्थापित कर सकता है।

दुनिया भर में गहरे बदलावों का कारण

बहरहाल ममदानी और ट्रंप के विचारों के बीच यह टकराव दुनिया भर में गहरे बदलावों का कारण बन सकता है। उधर ट्रंप का रुख और अहसयोग टकराव का कारण बन सकता है। इस बात की पूरी संभावना है कि ट्रंप ममदानी की राह में मुश्किलें पैदा करेंगे। भारत को इस संघर्ष को ध्यान में रखते हुए अपनी वैश्विक और आंतरिक रणनीतियों का पुनः मूल्यांकन करना होगा। क्या भारत अपने हितों के लिए एक नया रास्ता अपनाएगा, जो ग्लोबल सिटी और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच सही संतुलन स्थापित करे? आने वाले समय में इसका उत्तर मिल पाएगा।
(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)