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Aravalli Mountain: चुभ रहा जूली फ्लोरा का ‘कांटा’, खत्म हो रही वनस्पति, कैसे सुरक्षित होगी राजस्थान की अरावली पर्वतमाला ?

Aravalli Mountain: राजस्थान में मौजूद अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए अब केंद्र सरकार ने जिम्मा उठा लिया है। केंद्र सरकार अरावली पर्वतमाला पर ग्रीन वॉल बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन जूली फ्लोरा के कांटे अब भी चुभ रहे हैं।

Julie Flora
अरावली पर्वतमाला को बर्बाद कर रहा जूली फ्लोरा (फोटो-पत्रिका)

Aravalli Mountain: उदयपुर। केंद्र सरकार अरावली पर्वतमाला पर ग्रीन वॉल बनाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक करीब 1400 किमी लंबी व 5 किमी चौड़ी ग्रीन वॉल बनाई जाएगी। हालांकि इस परियोजना के लिए बिलायती बबूल बड़ी चुनौती है। पूरे अरावली क्षेत्र में बड़ी तादाद में फैल चुका जूली फ्लोरा दूसरी वनस्पति को तेजी से चट कर रहा है। इसको समूल नष्ट किए बिना ग्रीन वॉल का सपना संभव नहीं है।

अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने पहले चरण में 16,053 करोड़ रुपए का बजट जारी किया। परियोजना में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली के 29 जिले शामिल हैं। राजस्थान के उदयपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, नागौर, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, भरतपुर, दौसा, उदयपुर, झुंझुनूं, सीकर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, पाली, राजसमन्द, सवाई माधोपुर, करौली और अलवर जिले से निकल रही अरावली पर विभिन्न कार्य किए जाएंगे, लेकिन जूली फ्लोरा हटाने को लेकर अब तक कोई योजना नहीं है।

जहां नजर दौड़ाओ वहां नजर आ जाएगा जूली फ्लोरा

अरावली पर्वतमाला क्षेत्र के जंगलों की हालत काफी बदतर स्थिति में है। अरावली पर्वतमाला में करीब 20 फीसदी हरियाली जूली फ्लोरा की है। लेंटाना झाड़ी भी अरावली को नुकसान पहुंचा रही है। उदयपुर के आस-पास, कुंभलगढ़ समेत आस-पास के जंगलों में अंग्रेजी बबूल बहुतायत में है। इसके आस-पास दूसरी वनस्पति नहीं पनप सकती। इसकी लकड़ी जलाने के काम ही आ सकती है। इसके कांटे वन्य जीवों के लिए परेशानी बने हुए हैं। अंग्रेजी बबूल की बहुतायत के कारण वन्य जीव भी घायल हो जाते हैं।

राजस्थान सरकार भी कई बार कर चुकी है प्रयास

दशकों से प्रदेश की राजस्थान सरकार भी अरावली पर्वतमाला से जूली फ्लोरा को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी तक सफलता हांथ नहीं लगी है। जूली फ्लोरा को हटाने के लिए साल 2011-12 में वन विभाग ने 954 करोड़ का बजट केंद्र सरकार से मांगा था। उस समय जूली फ्लोरा को हटाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चरणबद्ध तरीके से बजट जारी किया गया।

इन जगहों का हटाया गया था जूली फ्लोरा

इस दौरान अजमेर में 2500 हेक्टयर, कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दो वर्ग किमी क्षेत्र से, अलवर में 159 हेक्टयर, सवाईमाधोपुर में 600 हेक्टयर, टोंक में 400 हेक्टयर, बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व 200 हेक्टयर क्षेत्र से जूली फ्लोरा हटाया गया। लेकिन निरंतर बजट नहीं मिलने से यह मामला लटक गया।

किस काम में आता है जूली फ्लोरा

जूली फ्लोरा एक जंगली पौधा है, जिसमें काफी बड़े-बड़े कांटे होते हैं। इसके पेड़ ज्यादा मोटे नहीं होते। ज्यातातर यह झाड़ियों के रूप में होता है और जिस इलाके में हो जाता है तेजी से फैलता जाता है। जहां पर यह उग जाता है तेजी से अन्य पौधे नष्ट होने लगते हैं। इसकी लकड़ी से कोयला बनाया जाता है। इसके अलावा यह जलाने में काम आता है।

जंगली जानवरों के लिए खतरनाक

जंगल, जानवर और वनस्पति के लिए जूली फ्लोरा और लेंटाना घातक साबित हो रहा है। अरावली पर्वतमाला हो या ग्रामीण और शहरी क्षेत्र हर कहीं जूली फ्लोरा पनप गया। इससे जंगलों पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार को जूली फ्लोरा को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक अभियान चलाना चाहिए, ताकि इसका नामों-निशान नहीं बचे। -राहुल भटनागर, रिटायर्ड सीसीएफ, उदयपुर