Repo Rate News: क्या एक बार फिर होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के लोन्स पर ब्याज दरों में कटौती होगी? इस समय अधिकतर लोगों के मन में यही सवाल है। इस समय भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक चल रही है। उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई इस बार भी प्रमुख ब्याज दर में कटौती करेगा। प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं। जब बैंकों के लिए आरबीआई से कर्ज लेना सस्ता होता है, तो बैंक ग्राहकों के लिए लोन्स पर भी ब्याज दरें घटाते हैं।
आरबीआई ने फरवरी 2025 में करीब 5 साल के बाद प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। इससे रेपो रेट घटकर 6.25 फीसदी पर आ गई थी। इसके बाद अप्रैल में आरबीआई ने फिर 0.25 फीसदी का रेट कट किया। फिर जून 2025 में आरबीआई ने रेपो रेट में और बड़ी कटौती की। आरबीआई ने उस समय ब्याज दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर सबको चौंका दिया था। इससे रेपो रेट घटकर 5.50 फीसदी पर आ गई। इस तरह साल 2025 में आरबीआई 100 आधार अंक यानी 1 फीसदी की कटौती कर चुका है। अब सवाल यह है कि क्या आरबीआई इस बार भी रेट कट का तोहफा देगा?
आरबीआई गवर्नर संजय मलहोत्रा 7 अगस्त को रेपो रेट की घोषणा करने वाले हैं। भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि आरबीआई इस बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। यह दिवाली से पहले आरबीआई द्वारा दी गई एक बड़ी सौगात साबित हो सकती है। आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो इससे क्रेडिट ग्रोथ में इजाफा होगा। आगामी फेस्टिव सीजन से पहले यह काफी महत्वपूर्ण होगा। एसबीआई ने बताया, 'पिछला ट्रेंड बताता है कि दिवाली से पहले रेपो रेट में कटौती से फेस्टिव सीजन में क्रेडिट ग्रोथ में अच्छा-खासा इजाफा होता है।'
आरबीआई द्वारा इस साल रेपो रेट में की गई बड़ी कटौती के बाद बैंकों ने लोन्स की ब्याज दरों में काफी कमी की है। आरबीआई अगर फिर से रेपो रेट में कमी करता है, तो बैंकों के पास एक बार फिर लोन्स पर ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश होगी। ब्याज दरें घटने पर फेस्टिव सीजन से पहले होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की डिमांड बढ़ सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी से शेयर मार्केट में निवेशकों का कॉन्फिडेंस डाउन है। ऐसे समय में अगर आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो भी शेयर मार्केट को ज्यादा मजबूती मिलने की गुंजाइश कम है। विश्लेषकों के अनुसार, शेयर मार्केट में तेजी पूरी तरह ट्रेड डील पर निर्भर है। सेंसेक्स और निफ्टी पिछले एक महीने से एक रेंज में ट्रेड कर रहे हैं। एफआईआई की निकासी, ट्रेड डील का न होना और कमजोर तिमाही नतीजों जैसे फैक्टर्स ने मार्केट का मोमेंटम डाउन किया है।
Updated on:
05 Aug 2025 05:43 pm
Published on:
05 Aug 2025 05:42 pm