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जब Ford ने कहा था- भारत जैसे बाजारों में पैसे नहीं लगा सकते, आखिर अब फिर निवेश करने को क्यों तैयार हुई कंपनी

फोर्ड मोटर्स भारत में वापसी कर रही है। 2021 में बाहर निकलने के 4 साल बाद, कंपनी चेन्नई में 32.5 अरब रुपये निवेश कर नए इंजन बनाएगी।

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भारत

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Mukul Kumar

Nov 02, 2025

फोर्ड की फिर हो रही भारत में वापसी। (फोटो- IANS)

अमेरिका की टॉप वाहन कंपनी 'फोर्ड मोटर्स' की एक बार भारत में एंट्री होने जा रही है। कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत में नए इंजन बनाने के लिए लगभग 32.5 अरब रुपये का निवेश करेगी। फोर्ड 2021 में भारत छोड़ने के 4 साल बाद फिर वापसी कर रही है।

जहां, एक तरफ भारत को इस निवेश से जबरदस्त फायदा होने वाला है। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह खबर निराश भी कर देगी। जो अमेरिकी कंपनियों को बार-बार दूसरे देशों में निवेश नहीं करने की चेतावनी दे रहे हैं।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि फोर्ड को ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका के बाहर उत्पादन बढ़ाने की योजना के लिए राष्ट्रपति की आलोचना का सामना करना पड़ा था, लेकिन हाल ही में अपने घरेलू प्लांटों में बड़े निवेश की घोषणा के बाद राष्ट्रपति की प्रशंसा भी मिली।

दूसरे देशों में भेजे जाएंगे इंजन

फोर्ड की ओर से कहा गया है कि तमिलनाडु के मराईमलाई नगर में प्लांट लगाया जाएगा। वहां हाई-टेक इंजन बनाए जाएंगे जिन्हें बाहरी देशों में एक्सपोर्ट किया जाएगा।

इस प्लांट की वार्षिक क्षमता 2,35,000 यूनिट होगी। इसका मतलब है कि हर साल प्लांट में 2.35 लाख नए इंजन तैयार किए जायेंगे। इंजन के प्रकार और उन्हें कहां-कहां भेजा जाएगा, इसकी जानकारी उत्पादन शुरू होने के समय दी जाएगी।

एक साल पहले कंपनी ने दिया था संकेत

फोर्ड ने एक साल पहले भारत में उत्पादन फिर से शुरू करने का संकेत दिया था। खास बात यह है कि कंपनी ने भारत में निवेश करने की घोषणा ऐसे समय की है, जब इंडिया और अमेरिका के बीच महीनों से टैरिफ को लेकर तनाव चल रहा है।

ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था। इसके साथ, रूसी तेल खरीदने को लेकर कड़ी आलोचना भी की थी। इस बीच, फोर्ड ने कहा कि वह इसी साल साइट पर काम शुरू कर देगी और उत्पादन 2029 में शुरू होने की उम्मीद है।

1995 में फोर्ड ने पहली बार भारत में खोला था कारखाना

फोर्ड ने पहली बार 1995 में चेन्नई के पास भारत में अपना कारखाना खोला था। 2015 में कंपनी ने गुजरात के साणंद में दूसरा प्लांट बनाया। जिम फार्ले ने 2020 में सीईओ बनने के कुछ ही समय बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के साथ एक समझौते को रद्द कर दिया।

इसके बाद, एक साल के अंदर उन्होंने भारत से अपना पूरा कारोबार समेट लिया। उस समय कंपनी ने कहा था कि अब भारत और ब्राजील जैसे सीमांत बाजारों में पूंजी नहीं लगा सकते क्योंकि यहां से कोई फायदा नहीं होता।

भारत से फोर्ड जब तक बाहर निकला तब तक कंपनी को कुल 2 अरब डॉलर से अधिक का घाटा हो चुका था। अंततः इसने साणंद वाहन प्लांट टाटा मोटर्स को बेच दिया, जो अब वहां इलेक्ट्रिक वाहन बनाती है।

कई अन्य अमेरिकी कंपनियां भी भारत में कर रहीं निवेश

हाल ही में राजनीतिक तनाव के बावजूद अन्य अमेरिकी कंपनियां भी भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं। मई में ट्रंप ने भारत में प्लांट लगाने के फैसले के लिए एप्पल कंपनी की खूब आलोचना की थी।

तमिलनाडु में फोर्ड अपनी पुरानी फैक्ट्री को फिर से शुरू करने की योजना बना रही है। यह भारत के सबसे बड़े औद्योगिक राज्यों में से एक है।

लंबे समय से यह ऑटोमोबाइल निर्माण का केंद्र रहा है। यहां हुंडई मोटर कंपनी, रेनॉल्ट एसए और बीएमडब्ल्यू एजी के भी प्लांट हैं।

क्यों भारत में इंजन बनाएगी कंपनी?

भारत में उत्पादन लागत अमेरिका से लगभग 30-40 प्रतिशत कम होने की उम्मीद है। यहां बने इंजन अमेरिका नहीं बल्कि सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका भेजे जाएंगे।

इसके अलावा, तमिलनाडु में फोर्ड को उसके बजट में कुशल ऑटो वर्कर्स भी मिल जाएंगे। प्लांट लगाने की एक और बड़ी वजह है। अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में भारत वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है। इसके अलावा, नए प्लांट लगाकर कंपनी अपने कॉम्पटीटर को भी पूरी तरह से टक्कर देने के मूड में है।

(वाशिंगटन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है)