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किसानों का दर्द… दुर्ग के इस क्षेत्र में दिखा मानसून का दोहरा रूप, कहीं हरा तो कहीं सूखा, देखें रिपोर्ट

Chhattisgarh News: बरसात का मौसम किसानों के लिए संजीवनी माना जाता है। धान, मक्का, सोयाबीन से लेकर तमाम खरीफ फसलें समय पर और पर्याप्त बारिश पर ही निर्भर करती हैं।

मेघों की बेरुखी और किसानों की बेबसी... (फोटो सोर्स- पत्रिका)
मेघों की बेरुखी और किसानों की बेबसी... (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Chhattisgarh News: बरसात का मौसम किसानों के लिए संजीवनी माना जाता है। धान, मक्का, सोयाबीन से लेकर तमाम खरीफ फसलें समय पर और पर्याप्त बारिश पर ही निर्भर करती हैं। लेकिन इस साल फिर से मौसम का "दोहरा रुख" किसानों को असमंजस और संकट में डाल रहा है। एक ओर प्रदेश के कई इलाकों में खेत लहलहा रहे हैं, धान की बाली झूम रही है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ जिलों में किसान अपनी सूखी फसल देखकर मायूस हैं।

दोहरा रुख: कहीं हरा तो कहीं फसल रही सूख

दुर्ग मौजूदा सीजन में जिले में मानसून का दोहरा रूख देखने को मिल रहा है। पाटन ब्लाक में बारिश का आंकड़ा पूरे साल की औसत के बेहद करीब पहुंच गया है, वहीं धमधा ब्लाक में बमुश्किल औसत की आधी ही बारिश हुई है। यह स्थिति तब है जबकि धमधा में इस बार औसत से 5 फीसदी से ज्यादा हुई है।

खेती की लिहाज से जिले में इस बार मानसून अब तक भले ही अनुकूल दिखाई दे रहा है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो स्थिति अलग ही है। जिले के कुछ हिस्से में जहां बादल जमकर बरस रहे है, वहीं दूसरे इलाके में पानी के लिए किसानों को तरसने जैसी स्थिति है। हालांकि इस दौरान कहीं भी सूखे जैसी स्थिति नहीं बनी है और जरूरत के समय बरसकर बारिश ने फसल को किसी भी तरह के नुकसान से बचा लिया है, लेकिन कम बारिश के चलते धमधा में फसल को गर्मी और उमस जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है। इससे अन्य इलाकों की तुलना में यहां बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ गया है।

फसल पर बीमारियों का खतरा

धमधा में कम बारिश के चलते धान की फसल में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। जानकारों के मुताबिक, कम बारिश के चलते धमधा के अधिकतर इलाके में अभी भी गर्मी और उमस की स्थिति है। उमस भरी गर्मी बीमारियों के अनुकूल होता है। ऐसी स्थिति में तनाछेदक, शीथ ब्लास्ट जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। धमधा के कई इलाकों में इसकी शिकायतें शुरू हो गई है।

पाटन में 1088, धमधा 555 मिमी बारिश

जिले में पूरे सीजन में औसत करीब 1123 मिमी बारिश होना चाहिए। इसके अनुरूप पाटन ब्लॉक में 1088.1 मिमी बारिश हो चुकी है। वहीं धमधा ब्लॉक में यह आंकड़ा बमुश्किल 555.8 मिमी पहुंच पाया है। जिले में अब तक की औसत के लिहाज से सबसे कम भिलाई-3 तहसील में केवल 78.1 फीसदी बारिश दर्ज की गई है। यहां भी बारिश का आंकड़ा 639 मिमी यानि धमधा से कहीं ज्यादा है।

पिछले साल भी रहा यही ट्रेंड

जिले में पिछले साल भी मानसून का यही रूख रहा। पिछले साल भी इसी अवधि में पाटन में सबसे ज्यादा और धमधा में सबसे कम बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन तब पाटन को छोड़कर जिले के लगभग सभी ब्लॉक में कम बारिश की शिकायत थी। इससे पहले वर्ष 2023 में पाटन और धमधा ब्लॉक में बारिश की आंकड़े में कोई खास अंतर नहीं था। तब धमधा में दुर्ग और बोरी ब्लॉक से भी बेहतर वर्षा दर्ज की गई थी।

दूरस्थ इलाकों में पानी की मांग

धान की फसल इन दिनों ग्रोथ और गभोट की स्थिति में है। ऐसी स्थिति में गर्मी और उमस से फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में धमधा के दूरस्थ इलाकों से सिंचाई के लिए पानी की मांग भी सामने आने लगी है। सितंबर के अंत में मानसून लौटना शुरू हो जाता है। ऐसे में कम बारिश होती है।

इस तरह समझें बारिश की स्थिति को

पूरे साल में जिले की औसत बारिश- 1123.7 मिमी
पाटन में अब तक बारिश -1088.1 मिमी
धमधा में बारिश - 555.8 मिमी भिलाई-3 में बारिश 639.4 मिमी
इस समय की जिले में औसत बारिश - 742.9 मिमी सामान्य स्थिति में अब तक होना चाहिए 674.9 मिमी
अब तक बारिश का प्रतिशत -110.1 प्रतिशत

समाधान की जरूरत

ऐसे हालात में सरकार और प्रशासन को सक्रिय होकर कदम उठाने की आवश्यकता है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत पैकेज, बीमा दावों का त्वरित निपटारा और सिंचाई साधनों का विस्तार किसानों की मदद कर सकता है। साथ ही, लंबे समय के लिए जल संरक्षण, तालाबों और नहरों का सुदृढ़ीकरण तथा आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपनाना बेहद जरूरी है।


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