Chhattisgarh state song: छत्तीसगढ़ का राज्य-गीत ‘अरपा पैरी के धार’ केवल एक रचना नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की संस्कृति, प्रकृति और भावनाओं का जीवंत चित्र है। पद्मश्री डॉ. नरेंद्र देव वर्मा द्वारा रचित यह गीत प्रदेश की दो जीवनदायिनी नदियों-अरपा और पैरी-के नाम से जुड़ा है, जो यहां के जनजीवन और लोकपरंपराओं की लय को दर्शाता है। राज्य गठन के बाद इसे आधिकारिक राज्य-गीत का दर्जा मिला और आज यह छत्तीसगढ़ियों के गर्व, एकता और मातृभूमि के प्रति प्रेम का प्रतीक बन चुका है।
छत्तीसगढ़ का राज्य-गीत ‘अरपा पैरी के धार’ केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि प्रदेश की आत्मा का सजीव चित्रण है। (Arpa Pairi Ke Dhar) यह गीत छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, लोकसंस्कृति, परंपराओं, और यहां के जन-जीवन के सहज भावों का अनोखा संगम है। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के राज्य बनने के बाद इसे आधिकारिक रूप से राज्य-गीत का दर्जा दिया गया।
‘अरपा पैरी के धार’ का नाम प्रदेश की दो प्रमुख नदियों-अरपा और पैरी-से लिया गया है। यह नदियां छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा मानी जाती हैं। गीत में इन नदियों के जल के साथ यहां के जनजीवन की लय और प्रेम की मिठास झलकती है। डॉ. नरेंद्र देव वर्मा ने इसे उस समय लिखा था जब छत्तीसगढ़ का अलग अस्तित्व अभी सपना मात्र था, लेकिन उनके शब्दों में यहां के लोगों की पहचान और गर्व साफ दिखाई देता है।
प्राकृतिक सौंदर्य: घने जंगल, उपजाऊ खेत, कल-कल करती नदियां, और यहां की हरियाली को गीत में बखूबी उकेरा गया है।
संस्कृति और परंपरा: लोकनृत्य, त्योहार, और सहज-सरल जीवन शैली के चित्र गीत में मिलते हैं।
मातृभूमि का गौरव: यह गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण और गर्व की भावना को प्रकट करता है।
एकता और भाईचारा: गीत में छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों और समुदायों के बीच सौहार्द का संदेश है।
‘अरपा पैरी के धार’ आज छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुका है। सरकारी कार्यक्रमों, स्कूल-कॉलेज के आयोजनों, सांस्कृतिक मंचों, और स्वतंत्रता दिवस/गणतंत्र दिवस समारोहों में इसे सम्मानपूर्वक गाया जाता है। (Arpa Pairi Ke Dhar) गीत की पंक्तियां न केवल छत्तीसगढ़ियों के हृदय में गर्व का संचार करती हैं, बल्कि यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करती हैं।
यह गीत केवल प्रकृति की सुंदरता का बखान नहीं करता, बल्कि संघर्ष, परिश्रम और आत्मनिर्भरता के संदेश से भी ओतप्रोत है। यह हमें याद दिलाता है कि छत्तीसगढ़ की पहचान उसकी संस्कृति, भाषा, और लोगों के सामूहिक जीवन में बसती है।
Published on:
13 Aug 2025 06:40 pm