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आकाशीय बिजली की चपेट में आने पर गोबर में गाड़ देने से हो जाता है जिंदा? ऐसे 300 से ज्यादा केस, डॉक्टर ने दिया ये जवाब

CG Ajab Gajab: कभी सांप कांटने पर झाड-फूंक तो कभी आकाशीय बिजली की चपेट में आने पर घायल व मृतक को गोबर में गाड़ देने की अजीब परंपरा चल रही है। इस पर डॉक्टरों ने क्या कहा जानिए..

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कुप्रथा: गोबर में गाड़ देने से क्या जिंदा हो जाता है इंसान? ( Photo - patrika )

CG Ajab Gajab: प्रदेश में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से हर साल 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है और कई लोग गंभीर रूप से घायल भी होते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि लोग इलाज कराने के बजाय कुप्रथा के फेर में फंसकर उन्हें गोबर में गाड़ देते हैं। ( CG News ) इस चक्कर में घायल हुआ व्यक्ति संक्रमण की चपेट में आ जाता है और उसके बचने की संभावना भी कम हो जाती है।

CG Ajab Gajab: 34 फीसदी लोगों की मौत गोबर में गाड़ने से..

हाल में सरगुजा संभाग में एक व्यक्ति की गाज गिरने से मौत हो गई। परिजन शव को घंटों गोबर में गाड़े रहे, ताकि वह जीवित हो सके। हालांकि ऐसा नहीं होने पर उसका अंतिम संस्कार किया गया। एक अनुमान के अनुसार पिछले 5 सालों में गाज से हुई मौतों में 34 फीसदी लोगों को गोबर में गाड़ने या उसका लेप लगाने के मामले सामने आए हैं। डॉक्टरों के अनुसार झुलसे हुए व्यक्ति को सबसे पहले साफ कपड़े से पोछें या ढंक दें। ज्वेलरी, अंगूठी, बाली या दूसरी चीजें निकाल दें। इससे पुरुष या महिला को राहत मिलेगी। गोबर में गाड़ने से ऐसे लोग भी जान से हाथ धो बैठते हैं जो बचाए जा सकते हैं।

शरीर में लगाते हैं टूथपेस्ट और डीजल

गाज गिरने के बाद गंभीर रूप से घायल के शरीर में टूथपेस्ट से लेकर डीजल तक लगाया जाता है। इस अंधविश्वास में कि मरीज को ठंडकता पहुंचेगी। डीकेएस में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के अनुसार कहीं-कहीं चावल के अंदर भी डाल देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ये कुरीति है। ऐसा करने से मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। झुलसे व्यक्ति को तत्काल अस्पताल पहुंचाए।

टॉपिक एक्सपर्ट

मौसम विभाग के रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर जनरल एमएल साहू ने कहा कि मानसून या प्री मानसून सीजन में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। इसमें हजारों वोल्ट का करंट होता है इसलिए कई लोगों की मौत हो जाती है या गंभीर हो जाते हैं। केवल मनुष्य ही नहीं मवेशी भी आकाशीय बिजली का शिकार बनते हैं। बारिश के दौरान कभी भी पेड़ के नीचे खड़े न रहें।

इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है

डीकेएस, एचओडी प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. दक्षेश शाह ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से गंभीर कई मरीज अस्पताल पुहंचते हैं। कई मामलों में गोबर का लेप, टूथपेस्ट या डीजल का लेप लगा होता है। परिजनों से पूछने पर बताते हैं कि इससे गंभीर को राहत मिलती है। हालांकि ये केवल अंधविश्वास है। गोबर के लेप से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ऐसा न करें।

गाज के लिए सीबी क्लाउड जिम्मेदार

आकाशीय बिजली गिरने के लिए सीबी यानी क्यूमलो निंबस क्लाउड जिम्मेदार है। जहां ये बादल होते हैं, वहां का तापमान शून्य या माइनस डिग्री में पहुंच जाता है। इससे सीबी क्लाउड में बर्फ के हजारों टुकड़े मिलते हैं। हवा की गति भी तेजी से ऊपर-नीचे होती रहती है। इस कारण बर्फ के टुकड़े गर्मी के दिनों में या बेमौसम बारिश होने पर ओले के रूप में गिरते हैं, लेकिन बारिश के सीजन में ऐसा नहीं होता।

सीबी क्लाउड प्री या पोस्ट मानसून में ज्यादा बनते हैं। बादलों में पानी के छोटे-छोटे कण होते हैं, जो वायु की रगड़ के कारण आवेशित हो जाते हैं। कुछ बादलों पर पॉजीटिव चार्ज आ जाता है और कुछ पर निगेटिव। जब दोनों तरह के चार्ज वाले बादल एक-दूसरे से टकराते हैं तो इससे लाखों वोल्ट की बिजली पैदा होती है। कभी-कभी वोल्ट इतना ज्यादा होता है कि यह बिजली धरती तक पहुंच जाती है।….

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