Bihar Election 2025 : बिहार में वोटर लिस्ट की Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के बाद राज्य की ड्राफ्ट मतदाता सूची चुनाव आयोग ने जारी कर दी है। आयोग ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों के अनुसार वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची जारी की है। ड्राफ्ट सूची से कितने नाम काटे गए हैं, इसका ब्योरा 1 अगस्त को जारी नहीं हुआ है। लेकिन चुनाव आयोग की 25 जुलाई को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक करीब 65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए हैं। हालांकि जानकारों का दावा है कि ड्राफ्ट लिस्ट से हटने वाले नामों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। सोशल वर्कर योगेंद्र यादव के मुताबिक ड्राफ्ट लिस्ट से 94 लाख वोटर के नाम गायब हो सकते हैं। चुनाव आयोग की प्रेस रिलीज के आंकड़ों के मुताबिक 65 लाख में 22 लाख वोटर मृत पाए गए, 36 लाख का स्थायी रूप से ट्रांसफर हो गया और 7 लाख एक से ज्यादा जगहों पर दर्ज हैं, इसलिए उनके नाम लिस्ट से हटाए गए हैं।
जानकारों के मुताबिक ड्राफ्ट मतदाता सूची में बिहार का Electors to Adult Population Ratio यानी EP Ratio भी गिरा है। इसके मायने हैं कि 18 साल से ज्यादा उम्र के कितने प्रतिशत लोग वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। देश में यह औसत लगभग 99% है, यानी लगभग सभी व्यस्क नागरिक मतदाता सूची में दर्ज हैं। लेकिन ड्राफ्ट सूची के हिसाब से बिहार में यह अनुपात अब मात्र 88% रह गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव के इंडियन एक्सप्रेस में छपे लेख के मुताबिक बिहार की वयस्क जनसंख्या जुलाई 2025 तक 8.18 करोड़ अनुमानित थी, जबकि वोटर लिस्ट में दर्ज लोगों की संख्या सिर्फ 7.24 करोड़ है। यानी लगभग 94 लाख व्यस्क नागरिक या तो छूट गए हैं या तकनीकी खामियों के कारण सूची से बाहर हो गए। इनमें चुनाव आयोग के SIR में सामने आए 65 लाख वोटर शामिल हैं।
2019 लोकसभा चुनाव में बिहार का EP Ratio 102% था यानी वोटर लिस्ट में दर्ज लोग वयस्क आबादी से ज्यादा थे, जो कि मृतक या डुप्लीकेट नाम के कारण हुआ होगा। फिर 2020 विधानसभा चुनाव में यह 101%, 2023 में 99%, और 2024 में 97% हुआ। लेकिन अब जुलाई 2025 में यह सीधा 88% पर आ गया है, एक झटके में 9% की गिरावट यानी करीब 94 लाख वोटर मिसिंग हो गए हैं।
EP Ratio का गिरना सीधे तौर पर चुनावी वोटर टर्नआउट पर असर डालेगा। जो नाम सूची में नहीं हैं, वे वोट नहीं दे सकते। इसके अलावा गरीब, ग्रामीण, महिलाएं, बुजुर्ग और प्रवासी वर्ग के वोटर, जिनके पास दस्तावेज या डिजिटल पहुंच नहीं है, वे सबसे ज्यादा सूची से बाहर हुए हैं। कई राजनीतिक दल चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल उठा सकते हैं। कुछ संगठनों द्वारा इसे लेकर कानूनी चुनौती भी दी जा सकती है।
SIR में कुछ ऐसी प्रक्रिया भी इस्तेमाल हुई जो पहली बार थी और इसने सबसे ज्यादा वोटरों को परेशान किया। इनमें:
पहली बार 65 लाख से ज्यादा नामों को एक साथ हटाया गया है। इतना बड़ा डिलीशन पहले कभी किसी राज्य में नहीं हुआ।
SIR प्रक्रिया मात्र 31 दिनों में पूरी की गई। 24 जून को आदेश आया और 25 जुलाई को लिस्ट बंद कर दी गई। इतनी तेजी से इतने बड़े पैमाने पर सत्यापन, नामांकन और कटौती पहले कभी नहीं हुई।
पहचान, पता, जन्म तिथि और नागरिकता की पुष्टि के लिए पहली बार 11 प्रकार के दस्तावेजों की मांग की गई। ग्रामीण क्षेत्रों, गरीबों और डिजिटल साक्षरता की कमी से जूझते तबकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी।
- www.nvsp.in, voterportal.eci.gov.in या वोटर हेल्पलाइन ऐप पर जाएं।
- नया नाम जोड़ने के लिए फॉर्म-6 भरें।
- 01.01.2025 तक 18 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र अनिवार्य है।
- पहचान पत्र, पते का प्रमाण और पासपोर्ट साइज फोटो अपलोड करें।
- आवेदन सबमिट करें।
- इसके साथ ही 3, 4, 10 और 11 अगस्त को विशेष शिविर लगेंगे।
Updated on:
02 Aug 2025 10:46 am
Published on:
01 Aug 2025 04:48 pm