
दुलारचंद यादव की शव यात्रा
पहले से तनावग्रस्त मोकामा शुक्रवार को फिर हिंसा की लपटों में झुलस गया। राजद नेता दुलारचंद यादव की शवयात्रा के दौरान पंडारक में अचानक भीड़ उग्र हो गई और हालात बिगड़ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शवयात्रा में शामिल कुछ लोगों ने बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की ओर ईंट-पत्थर फेंकना शुरू कर दिया, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।
शुक्रवार दोपहर, जब दुलारचंद यादव का पार्थिव शरीर मोकामा के मुख्य मार्ग से निकला, तो हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। शुरुआत में माहौल भावनात्मक था, लेकिन कुछ देर बाद नारेबाजी शुरू हो गई। फिर दो गुटों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और देखते ही देखते पत्थरबाज़ी और भगदड़ मच गई। पुलिस ने किसी तरह सूरजभान सिंह और अन्य नेताओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
गौरतलब है कि गुरुवार (30 अक्टूबर) को मोकामा में हुई हिंसा में आरजेडी नेता और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव (76) की मौत हो गई थी। वे जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के साथ चुनाव प्रचार में शामिल थे, जब दो गुटों में भिड़ंत हो गई। घटना में कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए और इलाके में रातभर तनाव बना रहा। शुक्रवार सुबह जब शवयात्रा निकली, तो पंडारक बाजार बंद रहा और लोगों ने ‘अनंत सिंह को फांसी दो’ के नारे लगाए।
इस यात्रा में सूरजभान सिंह की पत्नी और आरजेडी प्रत्याशी वीणा सिंह भी ट्रैक्टर पर सवार होकर शवयात्रा में शामिल हुईं। लोगों ने कहा कि यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि “लोकतंत्र की हत्या” है। इस मामले में परिवार की शिकायत पर जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह, उनके भतीजे रणवीर और कर्मवीर सिंह, और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है।
जानकारी के मुताबिक, हत्या से दो दिन पहले ही दुलारचंद यादव ने एक टीवी इंटरव्यू में अनंत सिंह की पत्नी और मोकामा की पूर्व सांसद नीलम देवी पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “नीलम देवी असली भूमिहार नहीं हैं, पहले नाचने जाती थीं, अनंत सिंह ने उन्हें रख लिया।” इस बयान ने सियासी माहौल को भड़काया और दोनों गुटों के बीच तनाव और गहरा गया।
दुलारचंद यादव का नाम 80 और 90 के दशक में अपहरण, रंगदारी और हत्या जैसे मामलों में चर्चित रहा। टाल क्षेत्र में उनका दबदबा था। 1990 के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और लोकदल से चुनाव लड़ा, लेकिन अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह से मामूली अंतर से हार गए थे। इसके बाद से ही दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी की जड़ें गहरी हो गईं।
Updated on:
31 Oct 2025 04:29 pm
Published on:
31 Oct 2025 03:40 pm
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