विशेष फर्क नहीं पड़ रहा
क्विक कामर्स के बढ़ते चलन से दुकानदारों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। लेकिन सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने लगी है, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बढ़ती जा रही है। कई बार त्वरित डिलीवरी की जल्दबाजी में वाहन दुर्घनाग्रस्त हो जाते हैं, सरकार को इन वाहन चालकों की स्पीड पर नियंत्रण लगाना आवश्यक है। - संजय डागा, हातोद
तत्काल सेवा समय की मांग
क्विक कॉमर्स अंतर्गत दुकानदारों को मिनटों में उपभोक्ताओं की भोजन, दवाएं, किराना, पेय पदार्थों आदि मांगों की आपूर्ति करने के लिए चुस्त-दुरूस्त डिलीवरी सिस्टम का प्रबंधन करना अनिवार्य होता है। जो दुकानदार गुणवत्ता का निर्वहन और त्वरित डिलीवरी का प्रबंधन सुचारू रूप से कर पाते हैं उनकी लाभ वृद्धि सुनिश्चित होती है। - डॉ. मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
प्रतिस्पर्धा बढ़ गई
क्विक कॉमर्स दुकानदारों को आकर्षित करने के साथ-साथ शीघ्र सामग्री उपलब्ध करवाने का माध्यम बन गया है। इससे समय की बचत के साथ साथ विभिन्न अवसर भी प्रदान हो रहे है परंतु प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है। - राजेश कुमार लोधा, झालावाड़
बदलते ज़माने की दुकानदारी
क्विक कॉमर्स ने हमारी आदतें बदल दी हैं। अब लोग सब्ज़ी, दूध या राशन भी ऐप से मंगवाते हैं। लेकिन नुक्कड़ की दुकान, जो हमारी ज़रूरतों का घर जैसी समझ रखती है, अब खाली दिखने लगी है। ग्राहक तकनीक की ओर भाग रहे हैं, पर भरोसे, रिश्ते और इंसानी जुड़ाव की अहमियत आज भी बनी हुई है। - इशिता पाण्डेय, कोटा
दुकानों पर निर्भरता घट रही
वर्तमान परिस्थिति में क्विक कॉमर्स ने बाजार का रूप पूरी तरह बदल दिया है। आजकल लोग समय की कमी और सुविधा के चलते 10–15 मिनट में सामान मंगवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे मोहल्ले की किराना दुकानों पर निर्भरता तेज़ी से घट रही है। विशेषकर शहरी क्षेत्रों में यह प्रभाव और भी गहरा है। बड़े ऐप्स भारी छूट, कैशबैक और तेज़ डिलीवरी देकर छोटे दुकानदारों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर रहे हैं। इसके चलते पारंपरिक दुकानदारों की बिक्री घटी है, ग्राहक भी कम हो रहे हैं और कई दुकाने बंद होने की कगार पर हैं। - सुनीता रानी, अनूपगढ़
Published on:
19 Jul 2025 07:20 pm