सड़कों से आवागमन तो सुलभ होता ही है, उन्हें विकास के पैमाने के रूप में भी देखा जाता है। अगर किसी राज्य की सड़कें अच्छी हैं, तो ऐसा माना जाता है कि वहां विकास अच्छे से हो रहा है। सड़कों की बदहाली को लेकर विगत एक सप्ताह के भीतर माननीय उच्च न्यायालयों द्वारा तीन सख्त टिप्पणियां की गईं।
1. केरल हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि सार्वजनिक सड़कों पर पाए गए एक-एक गड्ढे के लिए इंजीनियरों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। दो हफ्ते में इंजीनियरों को उनके प्रभार वाले इलाकों की सड़कों पर सभी गड्ढों की गिनती और उनके दोषों की पहचान करते हुए व्यापक ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया।
2. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सड़कों की बदहाली को लेकर टिप्पणी की कि- आप क्या चाहते हैं, लोग सड़क पर चलें या न चलें? चीफ जस्टिस ने नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट मैनेजर को खराब हो चुके रायपुर-बिलासपुर सड़क मार्ग पर से ही यात्रा करके हाईकोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए।
3. केरल हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दो-टूक कहा कि जब सड़कें टूटी हुई हों, सर्विस रोड अव्यवस्थित हों और ट्रैफिक जाम से आम जनता परेशान हो, तो टोल वसूलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या माननीय न्यायालयों को ही सड़कें सुधरवाने, नाली बनवाने या अन्य ऐसे कार्यों के लिए आगे आना होगा, जो सरकार का है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में सड़कों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। सड़कों पर बड़ेबड़े गड्ढे हैं, जो जानलेवा हो चले हैं। बारिश के मौसम में ये बेहद ही खतरनाक हो गए हैं। खराब सड़कों की वजह से प्रदेश में रोजाना हादसे हो रहे हैं और लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। सरकार है कि इन खराब सड़कों को ठीक करने के नाम पर राशि जारी कर देती है... समय-सीमा तय कर देती है बस। सड़कें गुणवत्तापूर्ण बने, उनका रखरखाव नियमित हो और अगर ऐसा नहीं होता है तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि सवाल लोगों के जीवन का जो है। -अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com
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Updated on:
08 Aug 2025 02:01 am
Published on:
08 Aug 2025 02:00 am