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प्रसंगवश: नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ में ऐसी हो व्यवस्था कि दोबारा न पड़ें लाल कदम

बस्तर में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ हो रेगूलर मॉनीटरिंग

नक्सली दंतेवाड़ा में 15, सुकमा में 5 का समर्पण (Photo source- Patrika)
नक्सली दंतेवाड़ा में 15, सुकमा में 5 का समर्पण (Photo source- Patrika)

छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने की डेडलाइन 31 मार्च 2026 में साढ़े सात-आठ माह ही शेष हैं। नक्सल प्रभावित बस्तर में सरकार डबल अटैक कर रही है। डबल अटैक यानी कि नक्सलियों से सुरक्षाबल लोहा ले रहे हैं और सरकार उन क्षेत्रों में विकास के कार्य व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में जोर-शोर से जुटी है। सरकार बार-बार ये संकल्प भी दोहरा रही है कि वह बस्तर के कोने-कोने तक शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएं इनसे अबतक वंचितों तक पहुंचाएगी। जहां तक बात डेडलाइन की है तो नक्सल उन्मूलन के लिए मानसून में भी ऑपरेशन्स चल रहे हैं। उधर, नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने भी स्वीकारा है कि उन्हें इस एक साल में भारी नुकसान हुआ है। नक्सलियों द्वारा जारी बुकलेट के अनुसार पिछले एक साल में देशभर में उनके 357 नक्सल साथी मारे गए, इनमें सबसे ज्यादा 281 नक्सली छत्तीसगढ़ में मारे गए हैं। केंद्रीय कमेटी ऐसे ही नहीं कह रही कि उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि इस एक साल में उनका महासचिव बसवराजू, केंद्रीय समिति के 4 सदस्य, 16 राज्य स्तरीय लीडर, 23 जिला स्तरीय लीडर, 83 एरिया कमांडर, 138 पार्टी मेंबर और 17 पीएलजीए ओहदेदारों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी पिछले डेढ़ साल के आंकड़े जारी कर बताया था कि इस अवधि में 438 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया, 1515 गिरफ्तार किए गए और 1476 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। सरकार आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए पुनर्वास के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की भी योजनाएं चला रही है। सरकार के इस डबल अटैक से बस्तर तय समय-सीमा में नक्सल मुक्त हो विकास की नई इबारत लिखेगा, इसकी उम्मीद जगी है। सरकार को चाहिए कि उसने नक्सल मुक्त बस्तर में आदिवासियों के विकास व उन्नति के लिए जो भी कार्ययोजना बनाई है, उसका कार्यान्वयन और मॉनीटरिंग भी नियमित करे, ताकि फिर से लाल आतंक के पांव इस धरती पर ना पड़े। -अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com