Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

कैच

कैच

ई-पेपर

ई-पेपर

सम्पादकीय : लोकतंत्र में जन अपेक्षाएं पूरी करना हो प्राथमिकता

काठमांडू के साथ-साथ नेपाल के दूसरे शहरों में सडक़ों पर उतरने वालों ने आंदोलन को जेन-जी प्रोटेस्ट का नाम दिया है।

पड़ोसी देश नेपाल में पिछले दिनों सरकार के खिलाफ चला ऑनलाइन अभियान बाहरी हस्तक्षेप के कारण था या वहां की जनता की सहज नाराजगी यह बाद में सामने आएगा। लेकिन इतना जरूर है कि लोकतंत्र में जनता की उम्मीदों को पूरा करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार की प्राथमिकता में रहना चाहिए। पिछले दो दिन से हिंसा की आग मेंं सुलग रहे नेपाल में प्रधानमंत्री को पद से इस्तीफा देना पड़ा है। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा यहां तक पहुंच गया कि वहां संसद भवन में तोड़-फोड़ करने के साथ-साथ कई नेताओं के आवास तक आग के हवाले कर दिए गए। काठमांडू के साथ-साथ नेपाल के दूसरे शहरों में सडक़ों पर उतरने वालों ने आंदोलन को जेन-जी प्रोटेस्ट का नाम दिया है।
इससे पहले सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे अभियान में नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम वाली जिंदगी की तस्वीरें वायरल की जा रही थीं। लोगों को लग रहा था कि सत्ता में बैठे लोग अपने बच्चों को फायदा पहुंचा रहे हैं और आम आदमी बदहाली का जीवन बिताने को मजबूर है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधि ईमानदार व पारदर्शी शासन का वादा करके सत्ता में आते हैं। ऐसे में उनका यह दायित्व भी बन जाता है कि वे लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप काम तो करें ही भ्रष्टाचार मुक्त शासन भी दें। नेपाल में राजशाही की जगह लोकतांत्रिक प्रणाली हालात बदलने की उम्मीद के साथ अपनाई गई थी, लेकिन अपेक्षाओं के विपरीत बने परिदृश्य ने वहां लोगों को सडक़ों पर आने को मजबूर कर दिया। इस आंदोलन में 13 से 28 आयुवर्ग के युवा और विद्यार्थी ज्यादा हैं, जो सोशल मीडिया पर लगाए गए नेपाल सरकार के प्रतिबंध को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बता रहे हैं। हालांकि बेकाबू हुए हालात के बीच नेपाल सरकार को यह प्रतिबंध भी वापस लेना पड़ा है। समूचा घटनाक्रम कोई एकाएक हुआ हो ऐसा भी नहीं है। नेपाल में सोशल मीडिया पर लगाया गया बैन इसका तात्कालिक कारण जरूर हो सकता है, लेकिन अहम बात तो यह है कि वहां युवाओं में लंबे समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ पनप रहे आक्रोश की हर स्तर पर अनदेखी की गई। सडक़ों पर उतरकर आंदोलन को हिंसक रूप देने वालों का भी यही आरोप है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों से बौखलाकर ही अभिव्यक्ति की आजादी का माध्यम बने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है। एक पक्ष यह भी है कि सोशल मीडिया के अपने फायदे-नुकसान है। नुकसान यह कि इसके जरिए भ्रामक सूचनाएं देकर जनभावनाओं को आसानी से भडक़ाया जा सकता है।
आने वाले दिन नेपाल में सियासी उथल-पुथल के रहने वाले हैं। इस बीच भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को नेपाल की यात्रा स्थगित रखने और नेपाल में मौजूद भारतीयों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। भारतीयों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।