छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद सरकार ने अबतक के इतिहास में सबसे बड़ी कार्रवाई की है। बहुचर्चित शराब घोटाले में सरकार ने आबकारी विभाग के 22 अधिकारियों को एकसाथ निलंबित कर दिया है। पवित्र सावन मास से एक दिन पहले की गई इस कार्रवाई से सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
शराब घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के समय का है और तत्कालीन विपक्षी दल ने सरकार के मुखिया, मंत्री और आला अफसरों पर गंभीर आरोप लगाया था। चुनाव हुए और सरकार बदली तो इसकी जांच ईडी को सौंपी गई। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि आबकारी विभाग में 2161 करोड़ का घोटाला हुआ है। पूर्व आबकारी मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कवासीलखमा इस मामले में जेल में बंद हैं। इनके अलावा कुछ आला अफसर और कारोबारी भी जेल में हैं। वहीं घोटाले के पैसों से कांग्रेस भवन का निर्माण कराए जाने की बात आने पर उसे भी सीज कर दिया गया।
आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार पर ईओडब्ल्यू के हवाले भी मामला किया गया। ईओडब्ल्यू ने 29 आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाते हुए कोर्ट में चालान पेश किया था। शराब घोटाले से अर्जित करोड़ों रुपए की अवैध वसूली में पूर्व आबकारी मंत्री कवासीलखमा को 60 करोड़ रुपए की 'मिठाई' मिली। कमीशन के रूप में पूर्व मंत्री को मिली हिस्सेदारी को कोडवर्ड में मिठाई के नाम दिया गया था। हर महीने विभिन्न माध्यमों से पूर्व मंत्री के घर दो करोड़ रुपए पहुंच जाते थे। यह सिलसिला 2019 से लेकर 2023 तक चला।
शराब घोटाले को लेकर राजनीति भी जमकर चल रही है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्योरोप भी कर रही हैं। विधानसभा का मानसून सत्र 14 जुलाई से शुरू होने वाला है। इसके पहले राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई से सरकार की छवि सुधरेगी। सरकार को चाहिए कि भ्रष्टाचार सहित विभिन्न अपराधों पर नियमित रूप से कठोर कार्रवाई करे।
- अनुपम राजीव राजवैद्य
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Published on:
11 Jul 2025 12:54 am