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तलाक-ए-हसन की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी तीन राष्ट्रीय आयोगों की राय

कानूनी विवादः नौ मुस्लिम महिलाओं ने दायर की याचिकाएं, अगली सुनवाई 19 नवंबर को

भारत

Nitin Kumar

Aug 14, 2025

supreme court
Photo- Patrika Network

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तलाक-ए-हसन की वैधता को चुनौती देने वाली नौ मुस्लिम महिलाओं की याचिकाओं पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से राय मांगी। तलाक-ए-हसन में मुस्लिम पुरुष महीने में एक बार, लगातार तीन माह तक ‘तलाक’ कहकर एकतरफा विवाह विच्छेद कर सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सभी हस्तक्षेप याचिकाएं स्वीकार करते हुए पक्षकारों को धार्मिक ग्रंथों से प्रामाणिक स्रोत पेश करने की छूट दी। वरिष्ठ अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने इसे शरीयत आधारित धार्मिक प्रथा बताते हुए सुधार समुदाय पर छोड़ने की दलील दी, जबकि अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने 2017 में ट्रिपल तलाक रद्द करने के उदाहरण का हवाला दिया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज को चार सप्ताह में आयोगों की राय पेश करने को कहा गया। अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।