फैक्ट चेकः आयोग ने पूर्व केंद्रीय मंत्री का दावा किया खारिज
नई दिल्ली. चुनाव आयोग ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा तमिलनाडु में 6.5 लाख मतदाताओं को जोड़ने और बिहार में 65 लाख को हटाने के दावों को गलत बताया है। आयोग ने कहा कि तमिलनाडु में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई है, इसलिए बिहार से तुलना करना बेतुका है। आयोग ने कहा कि भारतीय संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, कोई भी नागरिक उस स्थान पर मतदाता बन सकता है, जहां वह सामान्य रूप से निवास करता है।
चिदंबरम ने कहा था, 'एक ओर बिहार में 65 लाख मतदाताओं के मताधिकार से वंचित होने का खतरा है, तो दूसरी तरफ तमिलनाडु में 6.5 लाख लोगों को मतदाता के रूप में 'जोड़ने' की खबरें चिंताजनक व स्पष्ट रूप से अवैध हैं।' उन्होंने कहा, 'प्रत्येक भारतीय को किसी भी राज्य में रहने और काम करने का अधिकार है, जहां उसका एक स्थायी घर हो, चुनाव आयोग इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा कि कई लाख लोगों को, जिनके नाम बिहार की वर्तमान मतदाता सूची में हैं, बाहर किया जाना चाहिए, क्योंकि वे राज्य से 'स्थायी रूप से पलायन' कर गए थे?' उधर, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रविवार को केरल में कहा कि पार्टी 5 अगस्त को बेंगलूरु में चुनाव आयोग की गंभीर गड़बड़ियों का खुलासा करेगी।
चुनाव आयोग ने पेश किया कानूनी आधार
आयोग ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 19(1)(ई) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19(बी) के तहत हर नागरिक को कहीं भी निवास कर मतदाता बनने का अधिकार है। आयोग ने उदाहरण देकर बताया कि कोई व्यक्ति मूल रूप से बिहार या तमिलनाडु से हो, लेकिन यदि वह सामान्यतः चेन्नई या दिल्ली में रहता है, तो वहीं मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकता है। आयोग ने चिदंबरम के दावों को आधारहीन और भ्रम फैलाने वाला बताया।
Published on:
05 Aug 2025 11:56 pm