geological park : दुनिया की सबसे पुरानी चट्टानों व डायनासोर के जीवन के साक्षी लम्हेटाघाट और भेड़ाघाट को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से बनने वाले जियोलॉजिकल पार्क को अभी और इंतजार करना होगा। इसकी फाइल दिल्ली में स्वीकृति के लिए अटकी पड़ी है। जिससे आगे की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। जबकि स्थानीय स्तर पर पार्क के लिए जमीन का हस्तांतरण प्रोजेक्ट बनने के समय ही हो गया था।
भेड़ाघाट नगर परिषद में बनने वाले जियोलॉजिकल पार्क केन्द्र सरकार का प्रोजेक्ट है। जिसे बनाने की जिम्मेदारी मप्र पर्यटन बोर्ड को मिली है। प्रोजेक्ट को लेकर डेढ़ साल पहले ही इसकी डीपीआर बनाकर प्रशासनिक स्वीकृति के लिए तैयार कर ली गई थी। बोर्ड ने अपनी ओर से सबकुछ ओके करने के बाद इसे दिल्ली स्वीकृति के लिए भेजा था। लेकिन आज तक इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। केन्द्र से स्वीकृति मिलने के बाद ही इसके निर्माण का टेंडर हो सकेगा।
एमपीटी के ईई दीपक दवे ने बताया जियो पार्क का पूरा प्रोजेक्ट 87 करोड़ रुपए का है। पार्क में जहां मानव सभ्यता से जुड़ी जानकारियां, डायनासोर सहित अन्य जीवों के प्राचीन अवशेषों का प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का संग्रहालय भी बनेगा। जिसमें थ्री-डी मॉडलिंग, थीमेटिक डिजाइन, इंटरैक्टिव टच टेबल सहित अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग भी किया जाएगा। यहां जियोलॉजिकल से संबंधित पढ़ाई करने वालों के लिए विशेष सामग्री उपलब्ध रहेगी। उन्हें 5डी मूवीज के माध्यम से नेचर वॉक कराने की सुविधा भी होगी। भू-संस्कृति, नर्मदा की भू-विरासत, पृथ्वी की खोज, ग्रहों की जानकारी इंटरैक्टिव एवं थ्री-डी मॉडलिंग के माध्यम से दी जाएगी।
भेड़ाघाट नगर परिषद के सीईओ विक्रम झारिया ने बताया जियोलॉजिकल पार्क का निर्माण 12 हेक्टेयर की जमीन पर होगा। यह जमीन परिषद कार्यालय के पीछे लगे उद्यान और आसपास की होगी। चूंकि इसके विकास का कार्य एमपीटी को करना है, इसलिए इसका हस्तांतरण डेढ़ साल पहले ही उन्हें कर दिया गया है।
Published on:
30 Jul 2025 11:21 am