
माथे पर साफा, हाथ में लाठी, राजस्थानी लोक गीतों की थाप और ताल पर गेर नृत्य में झूमते नर्तकों ने कर्मभूमि में बसे प्रवासी लोगों को मायड़ की याद दिला दी। साहुकारपेट के कन्यका परमेश्वरी कॉलेज के मैदान में पारंपरिक वेशभूषा में बड़ी संया में महिलाएं और बच्चे भी थे जो राजस्थान के सांस्कृतिक मूल्यों से गेर नृत्य के माध्यम से अवगत हो रहे थे। यह दृश्य था सामूहिक गेर नृत्य का। भारतीय उत्सव समिति की ओर से रविवार को आयोजित इस सामूहिक गेर नृत्य की बात ही कुछ निराली थी। जब हजारों लाठियों एक साथ टकराई तो इससे जो नाद उभरा उसने प्रवासियों के चेहरे पर खुशी बिखेर दी। सामूहिक गेर नृत्य के आयोजन में छत्तीस कौम के लोगों ने उपस्थिति दिखाई।
गेर नर्तक राजस्थानी वाद्य यंत्रों की ताल पर झूम उठे। शाम से शुरू हुआ यह नृत्योत्सव रात नौ बजे तक चला।मैदान में उपस्थित लोगों को मानो ऐसा लग रहा था कि वे अपनी ही जमीन पर है। नर्तकों व दर्शकों के लिए उचित व्यवस्था की गई थी। पुलिस इंतजाम भी बराबर दिखा। गेर नृत्य के दौरान पारंपरिक राजस्थानी धुनें भी बजीं जिसने वातावरण को संगीतमय बना दिया।
अतिथि डिप्टी लीगल एडवाइजर ने कहा कि इस आयोजन से वे पूरी तरह बंध चुके हैं। पंजाब और राजस्थान में जातीयता का कोई बंधन नहीं होता है। सामूहिक गेर नृत्य में आप लोगों की हजारों की संया में सपरिवार मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि यहां भी जातिवाद नहीं है। हमें हमारे परिवार में यही सिखाया गया है हम सब एक हैं और जिसकी जीती-जागती मिसाल आप लोग हैं। विशिष्ट अतिथि यमुना हर्षवर्धना ने एक कहानी के माध्यम से ईश्वर और मां की महत्ता से अवगत कराते हुए पारिवारिक मूल्यों पर अपनी बात रखी। संयोजक मालाराम ने बताया कि अतिथियों का परपरागत तरीके से समान किया गया।
इस अवसर पर मुय अतिथि ने सामाजिक और मानवीय सेवा कार्य में लगी तीन संस्थाओं और इतने ही व्यक्ति विशिष्टों का समान किया। इनमें श्री अरुणोदयम, श्री श्याम सेवा परिवार ट्रस्ट, महावीर इंटरनेशनल चेन्नई मेट्रो तथा तैनापेट कार्तिक, राजी और पूवरसन शामिल थे। सी-5 पुलिस थाने के निरीक्षक राजन कुमार को भी समानित किया गया।
Updated on:
19 Mar 2025 03:11 pm
Published on:
19 Mar 2025 03:10 pm
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