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अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र के कविता संग्रह ‘आत्मोत्थानम्’ का विमोचन

अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता लोकतंत्र में लोकतंत्र की व्याख्या आध्यात्मिक रूप से की है। सरस्वती कविता सरस्वती नदी पर आधारित है। सरस्वती क्या कहती है अपने बारे में, जो सूक्ष्म है, गुप्त है लेकिन लुप्त नहीं हैं ।

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अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता लोकतंत्र में लोकतंत्र की व्याख्या आध्यात्मिक रूप से की है।

अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता लोकतंत्र में लोकतंत्र की व्याख्या आध्यात्मिक रूप से की है।

अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र की तीसरी पुस्तक तथा दूसरी कविता संग्रह 'आत्मोत्थानम्' का विमोचन विश्व पुस्तक मेला में आचार्य बालकृष्ण, डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी, साहित्यकार ओम निश्चल , डॉक्टर लक्ष्मी शंकर बाजपेई, सर्व भाषा ट्रस्ट के संचालक केशव मोहन पाण्डेय, प्रोफ़ेसर संगीत रागी एवं श्रीमती दीपाली मलिक द्वारा किया गया।

विमोचन के अवसर पर अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता संग्रह 'आत्मोत्थानम्' से "हिन्दी" कविता का पाठ किया। दर्शकों के विशेष अनुरोध पर अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता "सरस्वती" और "लोकतंत्र" का भी पाठ किया। अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता लोकतंत्र में लोकतंत्र की व्याख्या आध्यात्मिक रूप से की है। सरस्वती कविता सरस्वती नदी पर आधारित है। सरस्वती क्या कहती है अपने बारे में, जो सूक्ष्म है, गुप्त है लेकिन लुप्त नहीं हैं । इस बात को उजागर करती है यह कविता। "हिंदी" कविता हिंदी भाषा की जो व्यापकता है, वैज्ञानिकता है, भाषा का आध्यात्मिक स्वरूप है उसे दर्शाती है "हिंदी" कविता। तीनों कविताओं का दर्शकों ने ख़ूब रसास्वादन किया। 'आत्मोत्थानम्' अखिलेंद्र मिश्र की तीसरी पुस्तक है।

उनकी पहली कविता संग्रह 'अखिलामृतम्' है। दूसरी पुस्तक अभिनय पर आधारित है 'अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म'। जो एक वर्ष से बेस्ट सेलर है। और तीसरी पुस्तक 'आत्मोत्थानम्' कविता संग्रह है। जो इस बार 2025 की विश्व पुस्तक मेला में विमोचित हुई। तीनों पुस्तक ऑनलाइन वेबसाइट पर उपलब्ध है। अखिलेंद्र मिश्र, अभिनेता रंगकर्मी के साथ साथ अब साहित्य की तरफ़ बढ़ चले हैं। साहित्य से इनका नाता बचपन से ही रहा है लेकिन अब इन्होंने लिखना शुरू किया है। अखिलेंद्र मिश्र ने अपने अभिनय से दर्शकों का खूब मनोरंजन तो किया ही है हम उम्मीद करते हैं कि उनकी यह साहित्यिक यात्रा समाज को और साहित्य को एक नई दिशा देगी।