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दक्षिण-पूर्व एशिया के साइबर ठगी के अड्डों में फंसे हैं 20 हजार भारतीय

साइबर क्राइम: बीते चार साल में छुड़ाए गए 2,471 नई दिल्ली. दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में चलाए जा रहे साइबर ठगी के अड्डों में हजारों भारतीय जबरन साइबर ठगी के जाल में फंसे हुए हैं। इनमें से अधिकांश को फर्जी नौकरी का झांसा दिया गया था। बेहतर नौकरी और जीवन की उम्मीद में विजिटर वीजा […]

जयपुर

Nitin Kumar

Jul 23, 2025

साइबर क्राइम: बीते चार साल में छुड़ाए गए 2,471

नई दिल्ली. दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में चलाए जा रहे साइबर ठगी के अड्डों में हजारों भारतीय जबरन साइबर ठगी के जाल में फंसे हुए हैं। इनमें से अधिकांश को फर्जी नौकरी का झांसा दिया गया था। बेहतर नौकरी और जीवन की उम्मीद में विजिटर वीजा पर ये थाईलैंड, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों में पहुंच तो गए, लेकिन साइबर अपराधियों के जाल से निकल कर लौट नहीं सके। भारतीय एजेंसियों ने वर्ष 2022 से लेकर मई 2025 तक इनमें से 2,471 भारतीयों को बचाया है, जबकि लगभग 20 हजार से अधिक अब भी इन सेंटरों के अपराध जाल में जकड़े हुए हैं।

गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत आइ4सी (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) के अनुसार, बड़ी चिंता की बात यह है कि 22,145 भारतीय हैं जो दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में गए पर अब तक लौटे नहीं हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब, यूपी और तमिलनाडु से हैं। ये भारतीय फर्जी कॉल सेंटरों और साइबर ठगी के अड्डों के जरिये भारत ही नहीं, और भी कई देशों के नागरिकों को निशाना बनाने को मजबूर हैं। इससे भारत को ही हर महीने करीब ₹1,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है। गृह मंत्रालय के निर्देश पर 178 एफआईआर दर्ज हुईं और 224 गिरफ्तारियां भी की गईं।

देशवार वापसी के आंकड़े

(जनवरी 2022–मई 2025)

देश - लौटे भारतीय

लाओस पीडीआर - 1,089

कंबोडिया - 800

म्यांमार - 582

राज्यवार सबसे अधिक रेस्क्यू (कुल 2,471 में से)

राज्य - बचाए गए लोग

तमिलनाडु - 273

उत्तर प्रदेश - 247

महाराष्ट्र - 224

केरल - 196

जम्मू-कश्मीर - 151

भारतीय जो लौटे नहीं (कुल 22,145)

देश - अनुमानित भारतीय

थाईलैंड - 15,828

वियतनाम - 3,566

कंबोडिया - 2,121

म्यांमार - 387

लाओस पीडीआर - 243

उम्र के अनुसार लापता यात्री

आयु वर्ग (वर्ष) - संख्या

20–29 - 7,811

30–39 - 6,682

40–49 - 3,204

50–59 – 1,631