स्पॉट लाइट
आकाश तिवारी
दमोह. जिले में मातृ मृत्युदर के साथ-साथ बाल मृत्युदर भी बढ़ रही है। आंकड़ों पर नजर डाले तो अप्रेल से जून महीने के बीच १६४ मौतों की पुष्टी हुई है। हैरानी की बात यह है कि यह मौतें किस कारण से हुई हैं, इसे जानने के लिए कोई प्रयास ही नहीं किए जा रहे हैं।
हालही में कलेक्टर के निर्देश पर दो नवजातों की मौतों का डेथ रिव्यू हुआ था। इधर, डेथ रिव्यू में बरती जा रही लापरवाही के चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर संचालक ने दमोह डीपीएम को कारण बताओ नोटिस जारी इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि बाल मृत्युदर के संबंध में बताया जाता है कि शासन एक हजार जन्में बच्चों में ५२ मौत होना संभावित मानती है।
-घरों पर हो रही मौतों की नहीं मिल पा रही जानकारी?
जानकारी के अनुसार अप्रेल से जून महीने के बीच लगभग ६००० बच्चों ने जन्म लिया था। शासन के औसत मौतों के हिसाब से देखें तो ३१२ बच्चों की मौत की रिपोर्टिंग होना चाहिए थी, लेकिन शासन को सिर्फ १६४ मौतों का डाटा उपलब्ध कराया गया है। यानी १४८ बच्चों की मौतों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। बताया जाता है कि घरों पर होने वाली बच्चों की मौतों की जानकारी फील्ड वर्कर नहीं जुटा रही हैं। यह लापरवाही जबेरा और तेंदूखेड़ा ब्लॉक में सबसे ज्यादा बरती जा रही है।
-ब्लॉकों में हुई मौतों पर एक नजर
ब्लॉक बालक बालिका कुल
तेंदूखेड़ा ०९ ०६ ६२
दमोह ६२ ३८ २४
पटेरा ०८ ०५ १३
बटियागढ़ ०८ ०७ १५
जबेरा ०४ ०४ ०८
पथरिया १३ १६ २९
हटा ०९ १३ २२
यह मिले हैं निर्देश
-प्रत्येक मृत बच्चे की डेथ रिव्यू होना चाहिए।
-मौत का कारण पता करना।
-कैसे सुधार हो सकता है इस पर फोकस।
-आशाओं द्वारा घर-घर जाकर ० से ५ साल तक के बच्चों की मौतों की जानकारी जुटाना।
-बीसीएम को तुरंत अपडेट कराना।
यह है डेथ रिव्यू के नियम
-मुख्यालय स्तर पर १०० प्रकरणों का डेथ रिव्यू
-क्षेत्रीय संचालक स्तर से ४० फीसदी केस के रिव्यू।
-राज्य शासन स्तर से २० फीसदी केस के डेथ रिव्यू हों।
-रिव्यू में श्वांस नली में दूध की वजह से बताई मौत
कलेक्टर द्वारा कराए गए डेथ रिव्यू में एक एसएनसीयू और एक मौत पथरिया क्षेत्र में एक घर पर हुई थी। डेथ रिव्यू में पता चला है कि दोनों की मौत श्वांस नली में दूध के चले जाने के कारण होना पाई गई हैं।
पत्रिका व्यू
चिंहित गर्भवती महिलाओं की समय पर सभी प्रकार की जांचे होना जरूरी है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में जोखिम वाली महिलाओं की जांच पर फोकस होना चाहिए। साथ ही फॉलोअप में लापरवाही नहीं बरती जाना चाहिए। यदि इन नियमों का पालन होता है तो बाल मृत्युदर पर अंकुश लग सकेगा।
वर्शन
बच्चों की मौत के १०० प्रतिशत डेथ रिव्यू करने के निर्देश हैं। दमोह की स्थिति काफी खराब है। सुधार न होने पर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. नीना गिडियन, क्षेत्रीय संचालक
Published on:
02 Jul 2025 11:06 am