नई दिल्ली. ऑनलाइन प्लेटफॉम्र्स पर इन दिनों ‘स्टूडियो घिबली स्टाइल की एआइ इमेज की बाढ़ सी आई हुई है। चैटजीपीटी से यूजर्स अपनी फोटो को घिबली स्टाइल में क्रिएट कर शेयर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर और एलन मस्क ने भी अपनी तस्वीरों को घिबली स्टाइल में पोस्ट किया है। घिबली स्टाइल ऐसा तरीका है, जिसमें फोटो एनिमेटेड स्टाइल में बदल जाती है। चैटजीपीटी ने 26 मार्च को इस फीचर को सिर्फ पेड यूजर्स के लिए लॉन्च किया था, लेकिन अब इसे फ्री कर दिया गया है। यहां जानते हैं घिबली ट्रेंड के बारे में-
क्यों मशहूर है स्टूडियो
स्टूडियो घिबली जापान का एक प्रसिद्ध एनिमेशन स्टूडियो है, जिसे 1985 में हयाओ मियाजाकी (Hayao Miyazaki), इसाओ ताकाहाता और तोशियो सुजुकी ने स्थापित किया था। स्टूडियो अपनी हस्तनिर्मित एनीमेशन कला, बारीकियों से भरपूर दृश्य और कल्पनाशीलता के लिए जाना जाता है।
कहां से आया ‘घिबली’
‘घिबली’ शब्द अरबी से आया है, जिसका अर्थ है गर्म रेगिस्तानी हवा। इस शब्द का प्रयोग कभी इतालवी पायलट भूमध्य सागर की गर्म हवा को दर्शाने के लिए करते थे। स्टूडियो घिबली के सह संस्थापक हयाओ मियाजाकी ने इस नाम को इसलिए चुना ताकि यह एनीमेशन की दुनिया में गर्म-ताजी हवा की तरह बदलाव लाए।
क्यों खफा हैं इसे बनाने वाले
घिबली स्टूडियो के जरिए एनिमेशन को अलग पहचान दिलाने वाले
हयाओ मियाजाकी एआइ-जनित एनिमेशन के घोर विरोधी हैं। उनका मानना है कि घिबली की कला हस्तनिर्मित और भावनात्मक होती है, जिसे मशीन नहीं पकड़ सकती। वे तकनीक की बजाय पारंपरिक कला रूपों को प्राथमिकता देते हैं।
क्या कॉपीराइट का मामला बनता है?
एआइ से जुड़े कानूनी विशेषज्ञ इवन ब्राउन का कहना है कि चूंकि यह शैली संरक्षित नहीं है, इसलिए ओपनएआइ तकनीकी रूप से किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा।
स्टूडियो घिबली की प्रसिद्ध फिल्में
माई नेबर तोतोरो (1988) - दो बहनों और एक जादुई वन आत्मा (तोतोरो) की कहानी।
प्रिंसेस मोनोनोके (1997) - इंसानों और प्रकृति के बीच टकराव पर आधारित कहानी।
स्पिरिटेड अवे (2001) - ऑस्कर विजेता फिल्म, एक रहस्यमय स्नानागार की कहानी।
हाउल्स मूविंग कैसल (2004) - जादू, प्रेम और युद्ध-विरोधी विचारों से भरपूर फंतासी।
Published on:
01 Apr 2025 01:08 am