नई दिल्ली. पिछले दशक में दुनिया के प्रमुख धर्मों की आबादी बढ़ी है। प्यू रिसर्च सेंटर ने 2010 से 2020 के बीच दुनिया की 2700 से ज्यादा जनगणनाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण (censuses and surveys) कर रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक ईसाई अब भी सबसे बड़ा धार्मिक समूह है, लेकिन सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की बढ़ी है (Muslims grew fastest)। ईसाइयों की आबादी 1.22 करोड़ बढकऱ 1.18 अरब से 2.30 अरब हो गई, हालांकि वैश्विक हिस्सेदारी लगभग 30.6 से घटकर 28.8 फीसदी (-1.8 अंक) रह गई। जबकि मुस्लिमों की आबादी 3.47 करोड़ बढकऱ दो अरब हो गई। मुस्लिमों की वैश्विक हिस्सेदारी 1.8 अंक बढकऱ 25.6 फीसदी हो गई। इस बीच हिंदू और यहूदी धर्म की वैश्विक आबादी लगभग स्थिर रही। बौद्ध (Buddhists) एकमात्र धार्मिक समूह है, जिसकी आबादी एक दशक बाद 2020 में कम रही।
अन्य धर्मों की हिस्सेदारी
प्यू की रिसर्च में अन्य धर्मों का भी विवरण मौजूद है। मसलन बौद्ध धर्म के लोगों की संख्या 1.9 करोड़ घटकर 32.4 करोड़ ही रह गई है और इनकी वैश्विक हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से कम होकर 4.2 प्रतिशत ही बची है। इसके अलावा यदूही समुदाय दुनिया की सबसे छोटी धार्मिक आबादी है, जिनकी आबादी 1.4 से बढकऱ 1.5 करोड़ हो गई है। यहूदी समुदाय (Jews ) की वैश्विक हिस्सेदारी महज 0.2 प्रतिशत है। वहीं, अन्य धर्मों जैसे सिख, जैन (Jains) और बहाई समुदाय (Baha’is) की आबादी 1.8 करोड़ से बढकऱ 17.2 करोड़ हो गई है। इनकी वैश्विक हिस्सेदारी 2.2 प्रतिशत है।
नास्तिकों की आबादी भी बढ़ी
रिसर्च रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2010 में दुनिया में कुल 113 करोड़ लोग नास्तिक थे, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते। 2020 तक इनकी आबादी बढकऱ 140 करोड़ हो गई है, जोकि 27 करोड़ का इजाफा है। वहीं, वैश्विक हिस्सेदारी की बात करें तो नास्तिक 18.2 प्रतिशत हैं।
धर्मांतरण और प्रजनन दर बड़ी वजह
धर्मांतरण और प्रजनन दर भी आबादी में बदलाव की बड़ी वजह रही।
प्यू रिसर्च के मुताबिक ईसाई धर्म में पले बढ़े होने के बावजूद 10 में से तीन लोग ईसाई धर्म छोड़ देते हैं और प्रजनन दर में भी गिरावट आई है, जबकि मुस्लिमों में प्रजनन दर में वृद्धि हुई और धर्म में परिवर्तन का स्तर काफी कम है।
Published on:
11 Jun 2025 04:42 pm