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NCR के बड़े बिल्डरों पर सीबीआई का शिकंजा! अगले 48 घंटे में धड़ाधड़ दर्ज होंगे 22 मुकदमे, जानें मामला

CBI Investigation: दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा की 80 से ज्यादा परियोजनाओं की सीबीआई जांच करेगी। इसमें बैंक और बिल्डर के गठजोड़ को तलाशा जाएगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मुकदमे दर्ज करने की मंजूरी दे दी है। 

CBI Investigation: CBI Cracks Down on Top NCR Builders! 22 Cases to Be Registered in Next 48 Hours – Know the Full Story
CBI Tightens Grip on Top Builders in Noida and Greater Noida (Photo: Social Media)

CBI Investigation: सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले में सख्त कदम उठाने की तैयारी पूरी कर ली है। मामले से जुड़े सूत्रों की मानें तो सीबीआई अगले 48 घंटे में 22 मुकदमे दर्ज कर सकती है, जिसके बाद आगामी सप्ताह से इनकी औपचारिक जांच शुरू हो जाएगी। ये मुकदमे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना प्राधिकरण और गाजियाबाद क्षेत्र की 80 से अधिक रियल एस्टेट परियोजनाओं को कवर करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद तेज हुई जांच

तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने NCR में घर खरीदने की इच्छा रखने वालों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों और उनके साथ मिलीभगत करने वाले बैंकों के खिलाफ सीबीआई को 22 मुकदमे दर्ज करने की अनुमति दी थी। यह अनुमति उन प्राथमिक जांचों के आधार पर दी गई, जिनमें सीबीआई ने संज्ञेय अपराध पाए थे। इससे पहले मार्च 2025 में कोर्ट ने पांच प्रमुख मामलों में प्रारंभिक जांच की अनुमति दी थी। जांच एजेंसी ने अदालत को सूचित किया था कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों द्वारा की गई अनियमितताओं और धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है। जिनके चलते आगे की विस्तृत जांच आवश्यक है।

बड़े बिल्डर, बड़े सवाल

सीबीआई के निशाने पर नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी प्रमुख बिल्डर आ चुके हैं। इनमें कुछ नाम ऐसे हैं, जिनके पूर्ववर्ती राज्य सरकारों से करीबी संबंध रहे हैं। सीबीआई पहले ही इन बिल्डरों की परियोजनाओं का निरीक्षण कर चुकी है। कुछ मामलों में दस्तावेजों की गहन जांच भी की गई है। सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, इन बिल्डरों की अधिकांश परियोजनाएं अधूरी हैं और फ्लैट खरीदार वर्षों से कब्जे का इंतजार कर रहे हैं। अब इन परियोजनाओं में आर्थिक अनियमितताओं और फर्जीवाड़े की परतें खुल रही हैं।

सबवेंशन स्कीम के नाम पर हुआ करोड़ों का घोटाला

इस पूरे घोटाले का मुख्य आधार बना तथाकथित सबवेंशन स्कीम। इसके तहत बैंकों ने खरीदारों के नाम पर लोन स्वीकृत किए, लेकिन रकम सीधे बिल्डरों के खाते में चली गई। शर्त यह थी कि जब तक बिल्डर फ्लैट का कब्जा नहीं देंगे, तब तक ईएमआई बिल्डर ही चुकाएंगे। लेकिन समय बीतने पर बिल्डरों ने किस्तें देना बंद कर दीं।

इसके बाद बैंकों ने त्रिपक्षीय अनुबंध का हवाला देते हुए खरीदारों को किस्तें जमा करने का नोटिस भेज दिया। कई मामलों में खरीदारों को डिफॉल्टर तक घोषित करने की धमकी दी गई, जबकि उन्हें न तो फ्लैट मिला, न कब्जा। इस प्रक्रिया ने हजारों मध्यमवर्गीय परिवारों को वित्तीय और मानसिक संकट में डाल दिया।

प्राधिकरण और बैंक भी जांच के घेरे में

इस मामले में केवल बिल्डर ही नहीं, बल्कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना और अन्य प्राधिकरणों के अधिकारी और वित्तीय संस्थान/बैंक भी सीबीआई की जांच के दायरे में हैं। आरोप है कि प्राधिकरणों ने परियोजनाओं की निगरानी में गंभीर लापरवाही बरती और नियमों के विपरीत बिल्डरों को अनाप-शनाप छूट दी।

ईडी भी होगी जांच में शामिल

धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के एंगल को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस जांच में शामिल किया गया है। करोड़ों रुपए के लेन-देन और विदेशी निवेश के संभावित दुरुपयोग की आशंका को देखते हुए दोनों एजेंसियों के बीच समन्वय के साथ कार्रवाई होगी।

खरीदारों की याचिकाएं बनीं आधार

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 1200 से अधिक याचिकाओं ने इस पूरे मामले को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना दिया। अकेले सुपरटेक ग्रुप की परियोजनाओं से जुड़े 700 से अधिक खरीदारों ने 84 अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। इन्हीं याचिकाओं के आधार पर अदालत ने सीबीआई को हस्तक्षेप की अनुमति दी।