नई दिल्ली। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान, नैनो और मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (सीईएनएस), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सहयोग से अगली पीढ़ी की ऊर्जा भंडारण सामग्री (सुपरचार्जड ग्रीन एनर्जी मटेरियल) तैयार की है, जो सुपरकैपेसिटर के प्रदर्शन को बढ़ा देती है। शोधकर्ता अब इसके वाणिज्यिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए लैंथेनम-डोप्ड सिल्वर नियोबेट घटकों के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। यह शोध डॉ. कविता पांडे के नेतृत्व में एक टीम ने किया है। इसमें सिल्वर नियोबेट (एजीएनबीओ३) पर ध्यान केंद्रित किया, जो उत्कृष्ट विद्युत विशेषताओं वाला एक सीसा रहित और पर्यावरण के अनुकूल पदार्थ है।
जर्नल ऑफ अलॉयज एंड कंपाउंड्स में प्रकाशित यह शोध, उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकैपेसिटर की क्षमता पर प्रकाश डालता है। शोध में बताया गया है कि ऊर्जा भंडारण के केंद्र में सुपरकैपेसिटर है, जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा को तेज़ी से संग्रहीत और रिलीज़ कर सकता है। इससे वे मोबाइल डिवाइस और इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर अक्षय ऊर्जा प्रणालियों तक हर चीज़ को चलाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। बैटरी की तुलना में तेज़ होने के बावजूद, सुपरकैपेसिटर अक्सर इस मामले में पीछे रह जाते हैं कि वे कितनी ऊर्जा रख सकते हैं? वैज्ञानिक ऐसी सामग्रियों की खोज कर रहे हैं जो गति या दीर्घायु का त्याग किए बिना भंडारण को बढ़ा सकें।
वैज्ञानिकों ने लैंथेनम नामक दुर्लभ-पृथ्वी तत्व को सिल्वर नियोबेट नैनोकणों में इंजेक्ट किया, जो अपने लाभकारी इलेक्ट्रॉनिक गुणों के लिए जाना जाता है। इससे सिल्वर नियोबेट नैनोकणों के कण सिकुड़ गए, जिससे ऊर्जा भंडारण के लिए अधिक सतह क्षेत्र उपलब्ध हो गया। लैंथनम ने सामग्री की बिजली का संचालन करने की क्षमता में सुधार किया, जिससे ऊर्जा चार्ज-डिस्चार्ज चक्रों में तेजी आई। लैंथनम डोपिंग रणनीति के परिणामस्वरूप, ऊर्जा प्रतिधारण में भारी वृद्धि हुई - व्यापक उपयोग के बाद सामग्री ने अपनी प्रारंभिक क्षमता का 118 फीसदी बरकरार रखा और दक्षता पूर्णता पर पहुंच गई। उपयोग में लगभग कोई ऊर्जा नहीं खोई, जिससे 100 फीसदी कूलम्बिक दक्षता मिली।
Published on:
08 Jul 2025 04:34 pm