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Study : अंटार्कटिका में 15 साल के भीतर आखिर क्यों घट गई पेंगुइन की यह खूबसूरत प्रजाति?

तापमान वृद्धि के प्रति एंपरर पेंगुइन सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। जिन बर्फ खंडों पर वे प्रजनन और चूजों को पालने के लिए निर्भर हैं, वे अब टूट रहे हैं।

वाशिंगटन. जलवायु परिवर्तन का असर प्रकृति और बर्फीले जीवों पर साफ दिखने लगा है। मंगलवार को जारी एक सैटेलाइट आधारित शोध में अंटार्कटिका (Antarctica) की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। इसमें बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ पिघलने से पिछले 15 वर्षों में अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में एंपरर पेंगुइन (Emperor Penguin) की एक चौथाई आबादी कम हो गई। अंटार्कटिका सर्वेक्षण के ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका, वेडेले सागर और बेलिंगशौसेन सागर की 16 पेंगुइन कॉलोनियों की निगरानी के लिए सैटेलाइट चित्रों का उपयोग किया, जहां पेंगुइन की एक तिहाई आबादी है। वैज्ञानिकों ने पाया कि 2009 और 2024 के बीच ही पेंगुइन की आबादी में 22 फीसदी की गिरावट आई। नेचर कम्युनिकेशन : अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन के लेखक पीटर फ्रेटवेल ने कहा, यह आंकड़ा कंप्यूटर मॉडल द्वारा की गई भविष्यवाणी से भी 50 फीसदी ज्यादा चिंताजनक है।

सबसे बड़े होते हैं एंपरर पेंगुइन
सभी प्रजातियों में एंपरर पेंगुइन सबसे बड़े होते हैं। इनकी लंबाई चार फीट और वजन 20 से 40 किलो तक होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान वृद्धि के प्रति एंपरर पेंगुइन सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। जिन बर्फ खंडों पर वे प्रजनन और चूजों को पालने के लिए निर्भर हैं, वे अब टूट रहे हैं। इतना ही नहीं तापमान वृद्धि से पेंगुइन के प्रजनन स्थलों और उनके पैरों के नीचे की बर्फ पतली और कमजोर हो रही है। हाल के वर्षों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जब बर्फ टूटने से कुछ कॉलोनियों में सभी चूजे समुद्र में डूब गए।

सदी के अंत तक लुप्त हो सकते हैं
कंप्यूटर मॉडलों ने अनुमान लगाया था कि यदि इंसान ने कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं की तो सदी के अंत तक पेंगुइन की यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर होगी। लेकिन नए अध्ययन में तस्वीर और भी बदतर नजर आ रही है। फ्रेटवेल ने कहा, यदि हमने अपनी आदतें सुधारी और उत्सर्जन को कम किया तो हम इस खूबसूरत और अनोखे जीव को बचा सकते हैं।