नई दिल्ली. भारतीय सिनेमा के प्रख्यात फिल्मकार रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त थे। रविवार सुबह 10 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। यूं तो प्रेम सागर ने पिता के शुरू किए सागर आट्र्स के बैनर तले कई बड़े प्रोजेक्ट और सीरियलों में नए विजन के साथ काम किया, लेकिन पहचान 90 के दशक में आए लोकप्रिय धारावाहिक रामायण ने दिलवाई। इस धारावाहिक ने उन्होंने भले ही पिता रामानंद सागर को असिस्ट किया, लेकिन तकनीकी प्रयोग, रचनात्मक सोच और सिनेमेटोग्राफी में उनकी दक्षता ने धारावाहिक को लोगों के दिलों में अमर कर दिया। बड़े या छोटे पर्दे पर युद्ध में तीरों का फ्लाइंग इफेक्ट पहली बार उन्होंने ही दिखाया। ये दृश्य आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। तब तकनीक इतनी एडवांस नहीं थी, लिहाजा कई दृश्यों में उन्होंने जुगाड़ तकनीक से वीएफएक्स इफेक्ट पैदा किए। रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल और लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
उनके कारण यादगार हुए ये दृश्य
1968 में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के स्टूडेंट रहे प्रेम सागर शुरू से इनोवेटिव थे। रामायण में इसकी जरूरत भी थी और अवसर भी। कुछ दृश्य ऐसे थे, जिन्हें सीमित बजट में प्रेम सागर ने ही यादगार बनाया। मसलन, धुंध के दृश्य दिखाने के लिए धूपबत्ती या धुएं का इस्तेमाल किया। रात में बादलों को दिखाने के लिए रुई (कॉटन) और ग्लास पर स्लाइड प्रोजेक्टर का प्रयोग किया। सबसे बड़ी चुनौती हनुमानजी को समुद्र पार करने वाले दृश्य में थी, जिसे उन्होंने कैमरा एंगल, रिवर्स शॉट और मिनिएचर सेट का प्रयोग कर जीवंत बनाया।
कामयाब सफर
रामायण से पहले प्रेम सागर ने विक्रम बेताल, श्रीकृषण जैसे धारावाहिक के निर्माण में खास भूमिका निभाई। इतना नहीं हिंदी फिल्म ललकार, आंखों और चरस जैसी फिल्मों में बतौर सिनेमेटोग्राफर काम किया। उन्हेांने जितेंद्र-हेमा मालिनी अभिनीत फिल्म हम तेरे आशिका का निर्देशन भी किया था।
Published on:
02 Sept 2025 02:26 am