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देश में हर घंटे 20 लोग सडक़ हादसे में जान गंवा रहे, सबसे ज्यादा हादसे ओवर स्पीड के कारण

मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 23,652 लोगों की जान गई। इसके बाद तमिलनाडु (18,347), महाराष्ट्र (15,366), मध्यप्रदेश (13,798) और कर्नाटक (12,321) का स्थान रहा।

नई दिल्ली. देश में सडक़ों पर हादसे बढ़ रहे हैं। सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में आंकड़े डराने वाले हैं। ‘भारत में सडक़ दुर्घटनाएं 2023’ रिपोर्ट के मुताबिक के मुताबिक देश में हर दिन 474 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, जबकि हर घंटे 55 हादसों में 20 लोगों की मौत हो रही है। साल 2023 में सडक़ हादसों की संख्या 4.2% बढकऱ 4,80,583 हो गई। सबसे ज्यादा सडक़ हादसों और मौतों की वजह ओवरस्पीड रही, जो कुल हादसों का 72 फीसदी है। जबकि दूसरी सबसे बड़ी वजह गलत साइड या लेन में गाड़ी चलाना रहा। रिपोर्ट में सुरक्षा उपकरणों के बिना ड्राइविंग करने वालों के लिए चेतावनी है। क्योंकि 2023 में सीटबेल्ट न पहनने से 8,441 ड्राइवर और 7,584 यात्री मारे गए, जबकि दोपहिया वाहन पर हेलमेट नहीं लगाने से सडक़ हादसों में 39,160 बाइक सवार और 15,408 पीछे बैठे लोग अपनी जान गंवा बैठे।

तमिलनाडु में हादसे, यूपी में मौतें सबसे ज्यादा
साल 2023 में सबसे ज्यादा सडक़ हादसे तमिलनाडु (67,213) में दर्ज हुए। इसके बाद मध्यप्रदेश (55,327), केरल (48,091), उत्तर प्रदेश (44,534) और कर्नाटक (43,440) का नंबर रहा। जबकि 24694 हादसों के साथ राजस्थान सातवें और गुजरात (16349) दसवें स्थान पर है। लेकिन मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 23,652 लोगों की जान गई। इसके बाद तमिलनाडु (18,347), महाराष्ट्र (15,366), मध्यप्रदेश (13,798) और कर्नाटक (12,321) का स्थान रहा। सबसे कम मौतें अंडमान और निकोबार में दर्ज की गईं। यहां सिर्फ 24 लोगों की जान गई है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दिल्ली (1457), बेंगलुरु ( 915) और जयपुर (849) में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जबकि अमृतसर, चंडीगढ़ और श्रीनगर में सबसे कम लोगों की जान गई है।

पांच वर्ष में सडक़ हादसे से मौतें और घायलों की संख्या
वर्ष हादसे (बढ़े घटे) मौतें (बढ़े/घटे ) घायल (बढ़े/घटे)
2019 456959 (-2.9%) 158984 (0.9%) 449360 (-3.3%)
2020 372181 (-18.6%) 138383 (-13%) 346747 (-22.8%)
2021 4,12,432 (10.8%) 1,53,972(11.3%) 3,84,448(10.9%)
2022 4,61,312(11.9%) 1,68,491(9.4%) 4,43,366(15.3%)
2023 4,80,583(4.2%) 1,72,890(2.6%) 4,62,825(4.4%)

सडक़ों की श्रेणी के अनुसार हादसे
सडक़ों की श्रेणी हादसे मौत घायल
राष्ट्रीय राजमाग 1,50,177(31.2) 63,112(36.5) 1,43,031 (30.9)
राज्य राजमार्ग 1,05,662 (22) 39,439(22.8) 1,07,120 (23.1)
अन्य मार्ग 2,24,744(46.8) 70,339(40.7) 2,12,674 (46)

किस हादसे में सबसे ज्यादा मौतें
21.3- पीछे से टक्कर
18.1 - हिट एंड रन
16.7-सामने से टक्कर
11.9-बगल से टक्कर
5.9-रोड के साइड में
5.3-गाड़ी पलटने से
4.8-खड़े ऑब्जेक्ट में टक्कर
3.3- खड़े वाहन में टक्कर
12.8-अन्य
(हादसे फीसदी में)

सबसे ज्यादा हादसे के शिकार 25-35 आयु वर्ग के
हादसे उम्र
25.1% 25-35 वर्ष
21.4% 35-45 वर्ष
19.9% 18-25 वर्ष
17.0% 45-60 वर्ष
8.3% 60 वर्ष से ऊपर
2.7% उम्र का पता नहीं

हर दिन 26 बच्चों की सडक़ हादसे में मौत
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में सडक़ हादसों में सबसे ज्यादा मौतें 18 से 45 साल की उम्र के लोगों की हुईं। यह कुल मौतों का करीब 66% (1,14,861 लोग) है। इसी साल हादसों में 9,489 बच्चों की जान गई यानी औसतन हर दिन 26 बच्चे सडक़ हादसों का शिकार बनें। हालांकि हाईवे (राष्ट्रीय और राज्य दोनों) देश के कुल सडक़ नेटवर्क का सिर्फ 4.9% हैं, लेकिन यहां पर हुई मौतें कुल का 59.3% रहीं। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग पर 36.5% और स्टेट हाईवे पर 22.8 प्रतिशत लोगों की जान गई है।

दोपहिया और पैदल यात्रियों को सबसे ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में सडक़ हादसों में 35,221 (20.4%) पैदल यात्रियों की मौत हुई है, जो 2022 में 32,825 (19.5%) मौतों से 0.7 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं, सडक़ हादसों में हुई मौतों में से सबसे ज्यादा हिस्सा दो-व्हीलर चालकों का रहा, जो 44.8% है। अगर दो-व्हीलर और पैदल यात्री दोनों को मिलाया जाए तो ये कुल मौतों का 65.1% हैं। यानी हादसों में सबसे ज्यादा खतरे में यही लोग रहे। रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से अब तक पैदल यात्रियों की मौत में 124% और दो पहिया चालकों में 48% की बढ़ोतरी हुई है।