Delhi Assembly Session: दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया है, जिसमें शिक्षा बिल, भ्रष्टाचार के आरोप और ऑपरेशन सिंदूर सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दे सदन में उठाए गए। सत्र के पहले दिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने सरकार की नीतियों पर अपने विचार रखे। जिसमें प्रशंसा के साथ-साथ आलोचना भी शामिल रही। दिल्ली के मंत्री पंकज सिंह ने शिक्षा बिल की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि यह बिल दिल्ली के उन बच्चों के लिए वरदान साबित होगा जो शिक्षा से वंचित हैं। मंत्री आशीष सूद की तारीफ करते हुए पंकज सिंह ने कहा कि यह बिल माता-पिता को राहत देगा और शिक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम होगा।
दिल्ली विधानसभा सत्र के दौरान उस समय हंगामा बढ़ गया, जब जंगपुरा सीट पर AAP के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को हराने वाले भाजपा विधायक तरविंदर सिंह मारवाह ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव पर चर्चा के लिए खड़े हुए। हुआ कुछ यूं कि तरविंदर सिंह मारवाह से पहले मंत्री पंकज सिंह ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी बात रख रहे थे। इसकी बीच आम आदमी पार्टी के विधायकों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर हंगामा करने लगे। ये हंगामा रुका नहीं था कि तरविंदर सिंह मारवाह अपनी बात रखने के लिए खड़े हो गए, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने हंगामा जारी रखा। इसपर तरविंदर सिंह मारवाह ने उन्हें शांत रहने के लिए कहा।
इसपर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने भाजपा विधायकों पर सदन में गुंडागर्दी करने आरोप लगा दिया। इस बात पर भड़के तरविंदर सिंह मारवाह ने कहा “जरूरत पड़ी तो हम गुंडागर्दी भी करेंगे, हम किसी से डरने वाले नहीं हैं।” तरविंदर सिंह मारवाह को बीच में टोकते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दोनों पक्षों से शांत रहने और सदन को चलने देने की अपील की। इसके साथ ही विजेंद्र गुप्ता ने तरविंदर सिंह मारवाह के इस बयान को कार्रवाही से हटाने का आदेश भी दिया।
मंत्री कपिल मिश्रा ने इस सत्र को आधुनिक और तकनीकी दृष्टि से सफल बताया। उन्होंने कहा कि इस बार विधानसभा पूरी तरह पेपरलेस होगी, जो पिछले दस सालों में न हो पाया। उन्होंने सरकार के प्रयासों को भी सराहा जो विधानसभा को आधुनिक बनाने के लिए किए जा रहे हैं। भाजपा विधायक हरीश खुराना ने इस बदलाव को ऐतिहासिक करार दिया और पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार पर सवाल उठाए कि उन्होंने यह कदम क्यों नहीं उठाया? उन्होंने बताया कि इस सत्र में शिक्षा बिल पर चर्चा के साथ-साथ नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की दो रिपोर्ट भी पेश की जाएंगी। जिनमें कथित भ्रष्टाचार के मामले जैसे निर्माण श्रमिकों और भीम योजना शामिल हैं।
विपक्षी आम आदमी पार्टी ने सरकार के शिक्षा बिल और अन्य नीतियों की तीखी आलोचना की। AAP विधायक कुलदीप कुमार ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से निजी स्कूलों की फीस में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने फीस नियंत्रण का वादा तो किया था, लेकिन शिक्षा बिल के जरिए निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की छूट दी जा रही है, जो अभिभावकों के हितों के खिलाफ है। जबकि AAP विधायक अनिल झा ने शिक्षा पारदर्शिता बिल को झूठा बताया। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का काम कर रही है, जहां से अधिकांश बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, वहीं पारदर्शिता बिल की बात करना मात्र दिखावा है।
अनिल झा ने कहा कि दिल्ली की लगभग 40 प्रतिशत आबादी झुग्गी बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है और सरकार की नीतियां इन्हें शहर से बाहर करने की दिशा में हैं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (AAP) की कालकाजी विधायक और सदन में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने शिक्षा बिल को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं। आतिशी ने कहा "भाजपा सरकार का यह स्कूल फीस बिल बिना अभिभावकों की राय लिए और बिना किसी पारदर्शिता के केवल प्राइवेट स्कूलों की कमाई बढ़ाने के लिए बनाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी दिल्ली के बच्चों और उनके अभिभावकों के हित में एक सही और पारदर्शी फीस बिल चाहती है। यह बिल जिस रूप में है, उसका मकसद केवल प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाना है। इसमें फीस बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं।"
आतिशी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली सरकार के सामने दो प्रमुख मांगें उठाई हैं। इसमें पहली मांग है कि बिल को विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाए ताकि अभिभावकों, छात्रों और विशेषज्ञों की राय ली जा सके। इसके साथ ही दूसरी मांग के बारे में बताते हुए आतिशी ने कहा कि सभी स्कूलों की फीस को 2024-25 के स्तर पर स्थिर किया जाए ताकि मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाई जा सके। आतिशी ने ये भी कहा कि बिल में यह स्पष्ट नहीं है कि प्राइवेट स्कूलों के खातों का ऑडिट होगा या नहीं, जिससे स्कूल मनमानी तरीके से फीस बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, फीस बढ़ाने वाली कमेटी की अध्यक्षता भी प्राइवेट स्कूलों की मैनेजमेंट करेगी, जो अभिभावकों के खिलाफ विरोध का कारण बन रहा है।
दिल्ली के शिक्षामंत्री आशीष सूद ने कहा "आज दिल्ली में शिक्षा के इतिहास का सुनहरा दिन है। आज 27 साल में पहली बार अभिभावकों पर जो फीस के नाम पर लूट, दबाव और मानसिक उत्पीड़न किया जाता था।, उसका विधानसभा में बिल पेश किया जा रहा है। सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में यह बिल अभिभावकों को बड़ी राहत पहुंचाएगा। हमारी सेनाओं के शौर्य और भारत की मेक इन इंडिया की प्रभुता स्थापित होने पर ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव की सफलता पर धन्यवाद प्रस्ताव दिल्ली की विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। आज दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं।"
Published on:
04 Aug 2025 04:31 pm