नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बावजूद जज यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए गए महाभियोग की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है। महाभियोग के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के बीच बैठकों का दौर चल रहा है।
दरअसल, लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने जज वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से मार्च में अधजले नोटों की गड्डियां मिलने के मामले में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। इसी दिन राज्यसभा में विपक्ष के 63 सांसदों के हस्ताक्षर से महाभियोग प्रस्ताव दिया गया। इसका जिक्र तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में किया था, जिसके कुछ देर बाद धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के तहत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव पर वैधानिक समिति के गठन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। अब संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही यह समिति गठित हो सकती है, जिसकी घोषणा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से की जा सकती है। इसके लिए बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की बैठक हुई। दोनों सदनों के महासचिव और अन्य अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे। बाद में गृह मंत्री अमित शाह भी बैठक में शामिल हो चुके हैं।
तीन सदस्यीय वैधानिक समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ एक कानूनविद् शामिल होंगे। यह समिति जज वर्मा को दोषी पाती है तो लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जाएगा। विस्तृत चर्चा के बाद इस पर मतदान होगा और उसके पारित होने के लिए दो तिहाई मत की जरूरत होगी। लोकसभा में पारित होने के बाद उसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा और फिर वही प्रक्रिया दोहराई जाएगी।
Published on:
26 Jul 2025 11:00 am