YouTube बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। कंपनी 13 अगस्त 2025 से अमेरिका में एक नई AI-आधारित तकनीक शुरू करने वाली है, जो उपयोगकर्ताओं की उम्र का अनुमान उनकी वीडियो देखने की आदतों और अकाउंट एक्टिविटी के आधार पर लगाएगी। इस तकनीक का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि 18 साल से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं को उम्र के हिसाब से उपयुक्त कंटेंट और सुरक्षा सुविधाएँ मिलें।
YouTube की यह AI तकनीक उपयोगकर्ता के वीडियो सर्च, देखे गए कंटेंट की श्रेणियों और खाते की उम्र जैसे संकेतों का विश्लेषण करेगी। अगर सिस्टम को लगता है कि उपयोगकर्ता 18 साल से कम उम्र का है, तो उनके खाते पर स्वचालित रूप से किशोरों के लिए निर्धारित प्रतिबंध लागू हो जाएँगे। इनमें गैर-वैयक्तिकृत विज्ञापन, संवेदनशील विषयों पर बार-बार वीडियो सुझावों की सीमा, और डिजिटल वेल-बीइंग टूल्स जैसे स्क्रीन टाइम और बेडटाइम रिमाइंडर शामिल हैं। यदि AI गलत अनुमान लगाता है, तो उपयोगकर्ता सरकारी ID, सेल्फी या क्रेडिट कार्ड के जरिए अपनी उम्र सत्यापित कर सकते हैं।
YouTube पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं और नियामक दबाव के चलते यह कदम उठाया गया है। 2019 में, Google को बच्चों की गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने के लिए 170 मिलियन डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा था। इसके बाद से कंपनी ने बच्चों के लिए सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे YouTube Kids ऐप और सुपरवाइज्ड अकाउंट्स की शुरुआत। यह नई AI तकनीक उन उपयोगकर्ताओं को पकड़ने में मदद करेगी, जो गलत जन्मतिथि दर्ज करके प्रतिबंधों को बायपास करते हैं।
हालाँकि यह पहल बच्चों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन विशेषज्ञों ने गोपनीयता और AI की सटीकता को लेकर चिंताएँ जताई हैं। AI उपयोगकर्ता की वीडियो देखने की आदतों का गहरा विश्लेषण करेगा, जिसके लिए स्पष्ट सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, अगर कोई वयस्क पुराने कार्टून या बच्चों से जुड़े कंटेंट देखता है, तो उसे गलत तरीके से नाबालिग के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। YouTube ने कहा है कि वह इस सिस्टम की बारीकी से निगरानी करेगा और उपयोगकर्ता फीडबैक के आधार पर इसे बेहतर बनाएगा।
यह तकनीक शुरू में अमेरिका में लागू होगी, लेकिन सफल होने पर इसे यूरोप और अन्य देशों में भी विस्तार दिया जा सकता है। यूरोप में GDPR जैसे सख्त डेटा नियमों के कारण इसे लागू करने में बदलाव किए जा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक नया मानक स्थापित कर सकता है।
Published on:
30 Jul 2025 12:36 pm