Union Budget 2025: देश की अर्थव्यवस्था को चीन से कड़ी चुनौती मिल रही है। यह बात 2025-26 का आम बजट पेश करने से पहले पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी रेखांकित की है। चीन से मिल रही चुनौतियों से भारत ही नहीं, दुनिया के कई देश जूझ रहे हैं। जानते हैं, चीन से यह खतरा क्यों है और कितना गंभीर है?
दुनिया के उत्पादन में भारत का योगदान तीन प्रतिशत से भी कम (2.8 प्रतिशत) है, जबकि चीन की हिस्सेदारी करीब दस गुना ज्यादा (28.8 फीसदी) है।
चीन ने 2015 में ‘मेड इन चाईना 2025’ प्लान की शुरुआत की थी। इसका मकसद चीन को उत्पादन के मामले में अव्वल करना था। इसमें दस हाई-टेक उद्योगों पर खास ज़ोर था। आज दुनिया का एक-तिहाई उत्पादन अकेले चीन में होता है। चीन खुद जितना उत्पादन करता है, वह दूसरे से ग्यारहवें (दस) नंबर के देशों के कुल उत्पादन के बराबर है।
चीन ने 2025 तक हाई-टेक उद्योगों में 70 फीसदी तक आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है। चीनी गणतंत्र के सौ साल (2049) पूरे होने तक वह विश्व बाजार पर इन उद्योगों में अपनी पूरी धाक जमा लेने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। जैसे नरेंद्र मोदी सरकार ने आजादी के सौ साल पूरे होने तक (2047) भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का एलान कर रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को हर साल करीब 8 फीसदी की दर से विकास करना होगा। इसे हासिल करने में कई आंतरिक चुनौतियां तो हैं ही, चीन भी बड़ी बाधा खड़ी कर रहा है।
चीन अपना दबदबा कायम करने के लिए शाम, दाम,दंड हर तरीका आजमा रहा है और उसके तरीके से महाशक्ति अमेरिका भी हिला हुआ है। अमेरिका की एफ़बीआई चीन द्वारा आर्थिक खुफियागीरी कराए जाने को बड़ी चुनौती के रूप में दर्ज कर चुका है। एफ़बीआई ने इसे अमेरिका की आर्थिक मजबूती और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिहाज से बड़ा खतरा बताया है। एफ़बीआई का कहना है कि चीन की सरकार अपने फायदे के लिए सांसदों और जनमत को प्रभावित करने के मकसद से तरह-तरह के हथकंडे अपनाती रही है। इनके अलावा सायबर घुसपैठ, बौद्धिक संपदा की चोरी जैसे कई अवैध तरीके भी इस्तेमाल कर रही है।
Published on:
01 Feb 2025 11:18 am