Shashi Tharoor BJP Parliament Row : भाजपा (BJP) सांसद बैजयंत जय पांडा (Baijayant Jay Panda) ने सोमवार को संसद ( Loksabha) में कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए (Shashi Tharoor BJP Parliament Row) कहा कि वह अपने ही नेताओं को बोलने की इजाजत नहीं देती। उनका इशारा शशि थरूर की ओर था। पांडा ने लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)' पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कहा, "कांग्रेस (Congress) में कई नेता हैं जो प्रभावशाली ढंग से बोल सकते हैं, लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया जाता। मेरे मित्र शशि थरूर (Shashi Tharoor )अच्छे वक्ता हैं, लेकिन पार्टी उन्हें मौका नहीं देती।" यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई जब शशि थरूर ने खुद को संवाददाताओं से बात करते हुए “मौन व्रत” पर बताया था और यह सवाल उठाया था कि क्या उन्हें संसद में बोलने दिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व ने थरूर से पूछा था कि क्या वह चर्चा में हिस्सा लेना चाहेंगे, लेकिन उन्होंने असहमति जताई। इससे उनके और पार्टी के बीच मतभेदों की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी बहस में थरूर विदेश भेजे गए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस दौरान उनकी कुछ टिप्पणियों को पार्टी के अंदर ही आलोचना का सामना करना पड़ा था।
वहीं पांडा ने मोदी सरकार की नीति की तारीफ करते हुए कहा, “यह केवल प्रतिक्रिया नहीं थी, यह मोदी सिद्धांत है – जो पाकिस्तान को सीधा संदेश देता है।” उन्होंने कहा कि यह नया सामान्य है और पाकिस्तान अब इसे समझ चुका है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की नीति पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संबंध बेहतर बनाने की रही है। उन्होंने कहा, “पहले की सरकारें जवाब देने से बचती थीं, लेकिन अब भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।”
पांडा ने यह साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था, आम नागरिकों को नहीं।
उन्होंने विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि वह पाकिस्तान पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि भारतीय सेना की नीयत पर ही सवाल खड़े करता है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
बहरहाल भाजपा सांसद की यह टिप्पणी कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों को उजागर करती दिख रही है। थरूर की "मौन व्रत" की टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।
कांग्रेस में अंदरूनी संवाद और नेता-प्रवक्ता चयन की प्रक्रिया पर अब सवाल उठ सकते हैं।
थरूर जैसे वरिष्ठ नेता को अगर लोकसभा में बोलने नहीं दिया जाता तो पार्टी के भीतर लोकतंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं।
कांग्रेस की मीडिया रणनीति और मंच पर वक्ताओं के चयन को लेकर नए सिरे से मंथन संभव है।
Published on:
28 Jul 2025 09:58 pm