पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा है कि हमारे जन्म का आधार पूर्व जन्मों के कर्मफल हैं। कर्म का आधार कामना है। कामना या इच्छा मन में उठती है। विषय के ज्ञान के बिना इच्छा भी नहीं होती। बुद्धि उस इच्छा को पूरा करने या न करने का निर्णय करती है। उसी के अनुरूप शरीर में क्रिया होती है।
इटली में ओकी-दो योगा इंटरनेशनल कैम्प में गुरुवार को अपने सम्बोधन में कोठारी ने ज्ञान-इच्छा-क्रिया के अंतरसंबंधों का उल्लेख करते हुए बताया कि हमारा कर्म पेड़ लगाने का होना चाहिए। फिर फल कौन खाएगा, किसे छाया और काष्ठ मिलेंगे यह हमारी चिन्ता का विषय नहीं। अपने-अपने कर्मों के अनुरूप जिसे प्राप्त होना है, उन्हीं को फल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि शरीर हमें माता-पिता से प्राप्त होता है। मां गर्भ में उसे अपने अन्न से पोषित करने के साथ ही संस्कार-शिक्षा भी प्रदान करती है। गर्भ में ही जीव को बिना संवाद, अपने विचार-ध्वनि-स्पन्दन व्यवहार के माध्यम से संस्कारित करती है। अत: मां के अन्न के साथ ही, विचारों तथा वातावरण आदि की शुद्धता आवश्यक है। मां की ऊर्जा से शिशु पेट में बहुत कुछ सीख लेता है। मां पेट में ही एक अच्छे मानव रूप में उसका निर्माण कर समाज को सौंपती है। कोठारी ने कैम्प में सहभागियों की जिज्ञासाओं का विस्तार से समाधान भी किया।
Published on:
25 Jul 2025 06:13 am