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अंतरिक्ष में जोड़े जाएंगे Chandrayaan-4 के हिस्से, ISRO नहीं करेगा सीधी लॉन्चिंग

Chandrayaan-4: इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-4 स्पेसक्राफ्ट (Spacecraft) भारी होने के कारण यान को सीधे लांच नहीं करने का निर्णय लिया है। यह अलग अलग लांच किए जाएंगे बाद में इन्हें अंतरिक्ष में जोड़ दिया जाएगा। दुनिया में संभवत: यह प्रयोग भारत पहली बार करने जा रहा है। इसी साल स्पेडेस्क मिशन में डॉकिंग क्षमता का परीक्षण किया जाएगा।

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भारत के चौथे चंद्र मिशन में नया इतिहास रचने की तैयारी है। चंद्रयान-4 को दो हिस्सों में लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष में दोनों हिस्सों को जोड़ कर स्पेसक्राफ्ट तैयार होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जाएगा, क्योंकि स्पेसक्राफ्ट इतना भारी है कि इसे इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट से भी लॉन्च नहीं किया जा सकता। चंद्र मिशन में यह शायद पहली बार होगा, जब स्पेसक्राफ्ट को टुकड़ों में लॉन्च कर अंतरिक्ष में असेंबल किया जाएगा।

इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ का कहना है कि चंद्रयान-4 मिशन के लिए हमें अंतरिक्ष में डॉकिंग (स्पेसक्राफ्ट के अलग-अलग हिस्सों को जोडऩा) क्षमता हासिल करनी होगी। हम इस क्षमता को विकसित कर रहे हैं। इस साल स्पेडेस्क मिशन में इसका परीक्षण किया जाएगा। चंद्र मिशन में स्पेसक्राफ्ट के मॉड्यूल्स की डॉकिंग रूटीन प्रक्रिया है। इसमें मुख्य स्पेसक्राफ्ट का एक हिस्सा अलग होकर चांद पर लैंड करता है, जबकि बाकी हिस्सा चांद की ऑर्बिट में रहता है। लैंडिंग वाला हिस्सा चांद की सतह छोडऩे के बाद फिर स्पेसक्राफ्ट से जुड़ जाता है। इसरो चंद्र मिशन में पृथ्वी की ऑर्बिट में डॉकिंग की तैयारी कर रहा है।

इसी तरह बनेगा हमारा अंतरिक्ष स्टेशन

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) और चीन के तिआनगोंग स्पेस स्टेशन (टीएसएस) के लिए स्पेसक्राफ्ट के हिस्सों को अंतरिक्ष में ही असेंबल किया गया था। सोमनाथ ने कहा, हम दावा नहीं कर रहे हैं कि चंद्र मिशन में ऐसी कोशिश वाले हम पहले हैं, लेकिन मुझे जानकारी नहीं है कि किसी और देश ने इस तरह के मिशन में ऐसा किया हो। भारत का अंतरिक्ष स्टेशन इसी तरह हिस्सों को जोडक़र बनाया जाएगा।

पृथ्वी पर लाए जाएंगे चांद के सैंपल

चंद्रयान-4 मिशन में चांद के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे। इसरो मिशन पर विस्तृत स्टडी, इंटरनल रिव्यू और लागत के बारे में रिपोर्ट जल्द सरकार को भेजेगा। चंद्रयान-4 के अलावा तीन और प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार की मंजूरी ली जाएगी। इनमें 2035 तक भारत का अंतरिक्ष स्टेशन तैयार करने और 2040 तक इंसान को चांद पर भेजने की योजना शामिल है।