केरल हाईकोर्ट ने एक मामले के फैसले में कहा कि किसी मां को उसकी कोई भी संतान इस बात को आधार बनाकर भरण-पोषण देने से इनकार नहीं कर सकती कि उनके और भी बच्चे हैं।
जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा, मुझे यह कहते शर्म आ रही है कि मैं इस समाज का सदस्य हूं, जहां एक बेटा 100 साल मां को सिर्फ 2,000 रुपए मासिक भरण-पोषण देने से बचने के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहा है।
कोर्ट ने बेटे की याचिका खारिज करते हुए खरी-खरी सुनाई। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा, याचिका दायर करते समय याचिकाकर्ता की मां 92 साल की थीं। अब वह 100 साल की हो चुकी हैं।
बेटे से भरण-पोषण की उम्मीद कर रही हैं। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि वृद्ध मां को बेटे से भरण-पोषण पाने के लिए गवाही देनी पड़ी और जिरह से गुजरना पड़ा।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता बेटे की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि मां अन्य बेटे के साथ रह रही हैं। उसके कुछ बच्चे हैं, जो भरण-पोषण में सक्षम हैं। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि बेटे ने फैमिली कोर्ट के 2022 के आदेश को नहीं माना।
इसी तरह के मामले में फरवरी में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बेटे द्वारा 77 साल की मां को भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था।
कोर्ट ने कहा था, हमारे समाज में किस तरह का कलयुग व्याप्त है, जहां बेटा वृद्ध मां को भत्ता देने से बचने के लिए कोर्ट आ गया।
Published on:
02 Aug 2025 08:54 am