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Karl Marx Birth Anniversary: वोट शेयर और सांसद दोनों घटे, क्या वामपंथ फिर खड़ा हो पाएगा?

कार्ल मार्क्स की 207वीं जयंती पर वामपंथी दल अपने राजनीतिक वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। दशकों से वोट प्रतिशत और सांसदों की संख्या लगातार गिरावट में है। पढ़िए विजय कुमार झा की खास रिपोर्ट...

भारत

Vijay Kumar Jha

May 05, 2025

Karl Marx Birth Anniversary: जिन कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों को लेकर भारत में वामपंथ आगे बढ़ा, आज उनकी 207वीं जयंती है। सवाल यह है कि मार्क्स को याद करने के लिए यहां वामपंथी पार्टियां और कितने साल बचेंगी?

प्रमुख मार्क्सवादी दल भाकपा (सीपीआई) हो या माकपा (सीपीएम), देश के संसदीय इतिहास में कभी दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत दहाई से ऊपर नहीं गया। लोकसभा में उनके सदस्यों की संख्या भी एकाध अपवादों को छोड़ कभी 50 पार नहीं जा सकी। दस साल से तो हाल यह है कि कुल वोट प्रतिशत पांच और सांसद संख्या दस पार भी नहीं जा पा रही है। भाकपा को 1996 से लगातार दो फीसदी से कम वोट मिल रहा है।

सदस्य बढ़ रहे, समर्थन नहीं

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 1972 में तैयार की खुफिया रिपोर्ट में भारत में भाकपा और माकपा के सक्रिय सदस्यों की संख्या 70 हजार बताई गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक 1971 में भाकपा कुल 2.32 लाख और माकपा 1.05 लाख सदस्य होने का दावा करती थी। 2022 में भाकपा के 6.5 लाख से ज्यादा सदस्य बताए गए थे। 1964 में भाकपा से टूट कर बनी माकपा की वेबसाइट के मुताबिक उसके सदस्यों की संख्या 1964 में 1.19 लाख थी, जो 2021 में 9.86 लाख हो गई। पिछले दो आम चुनाव से माकपा दो फीसदी वोट भी नहीं ला पा रही है।

100वें साल में वजूद का संघर्ष

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरह भाकपा का भी स्थापना का यह सौवां साल है। लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी जहां वजूद की लड़ाई लड़ रही है, वहीं संघ का लगातार विस्तार हो रहा है। संघ की वेबसाइट के मुताबिक 4 मई, 2025 की दोपहर तक संगठन से 13,66,346 लोग जुड़े थे। आरएसएस सीधे तौर पर राजनीति से नहीं जुड़ा है, लेकिन उसका राजनीतिक संगठन भाजपा 11 साल से देश का शासन कर रहा है।

ऐसे ढहता गया वामपंथ

लोकसभा चुनावभाकपा (वोट शेयर) माकपा (वोट शेयर) भाकपा (सीटें) माकपा (सीटें)
1980 2.49 6.24 10 37
1984 2.7 5.72 06 22
1989 2.57 6.55 12 33
1991 2.48 6.14 14 35
1996 1.97 6.12 12 32
1998 1.75 5.16 9 32
1999 1.48 5.4 4 33
2004 1.41 5.66 10 43
2009 1.43 5.33 4 16
2014 0.78 3.25 1 9
2019 0.58 1.75 2 3
2024 0.49 1.76 2 4
(स्रोत: त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डाटा)

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2004 में जीते थे 53 सांसद

लोकसभा चुनाव में वामपंथी पार्टियों का सबसे बढ़िया प्रदर्शन 2004 में रहा था। तब माकपा को 43 और भाकपा को 10 सीटें मिली थीं। लेकिन उसके बाद से वामपंथी दल ढलान पर है। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा का किला भी ढह गया। केरल में उसकी सरकार बची हुई है।