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New Study: यहां की हवा और पानी बनी जहरीली तो यहां की मिट्टी हुई खराब, बढ़ा रही हैं Cancer और गंभीर बीमारियां

cancerous particles in Dust and Soil in Delhi: देश में कैंसर के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। एक नए अध्ययन में यह बताया गया है कि दिल्ली में धूल और मिट्टी में कैंसर पैदा करने वाले रसायनिक तत्व पाए गए है। इससे करीब 4 लाख लोग कैंसर की चपेट में आ सकते हैं।

Jawaharlal Nehru University New Study
दिल्ली की मिट्टी और धूल में कैंसरकारक तत्व पाए गए हैं। (फोटो: Patrika)

New Study related to Cancer: दिल्ली की सड़कों पर जमी मिट्टी और धूल में जहरीले तत्व मौजूद हैं और इससे कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां होने की संभावना जताई गई है। यह बातें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (University of New South Wales) के शोधकर्ताओं के सहयोग से आयोजित अध्ययन में सामने आई है। इस अध्ययन के लिए राजधानी में 33 स्थानों से सड़क किनारे की मिट्टी और धूल के नमूने एकत्र किए गए और उनका विश्लेषण सिडनी स्थित न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय UNSW में किया गया। अध्ययन से पता चला है कि राजधानी की मिट्टी और धूल में एंटीमनी नामक एक रासायनिक तत्व का उच्च स्तर पाया गया। एंटीमनी के संपर्क को कैंसर का संभावित जोखिम कारक (carcinogenic risk factor) माना जाता है। अन्य शोधों में पाए जाने वाले भारी रसायनिक तत्व कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं।

इस वजह से चार लाख लोगों को हो सकता है कैंसर

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार, अध्ययन से जुड़े प्रमुख खोजकर्ता डॉ. मनोज प्रताप सिंह का कहना है कि धूल कण और मिट्टी में पाए गए विषैले तत्वों के संपर्क में आने से बच्चों में कैंसर होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। उन्होंने कहा, "इन विषैले तत्वों के संपर्क में आने की वर्तमान दर के अनुसार, पुरुषों में 1.8 लाख से ज़्यादा कैंसर के मामले, महिलाओं में 2.1 लाख से ज़्यादा कैंसर के मामले और बच्चों में 21,000 से ज़्यादा कैंसर के मामले हो सकते हैं।"

त्वचा से शरीर में प्रवेश कर इन बीमारियों की बनेगी वजह

डॉ. मनोज का कहना है कि इसके रासायनिक तत्व का विषाक्त स्तर त्वचा के रास्ते मानव शरीर में प्रवेश कर सकता है और मधुमेह तथा गर्भावधि मधुमेह सहित विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकता है। सांस लेने के दौरान भी मिट्टी और धूल के कण इंसानों के शरीर में प्रवेश कर परेशानियां बढ़ा सकती हैं।"

वाहनों के ब्रेक पैड पर्यावरण कर रहे दूषित

डॉ. सिंह ने बताया कि दिल्ली की सड़कों पर एंटीमनी नामक रसायनिक तत्व की मात्रा अधिक होने के चलते लोगों की परेशानियां बढ़ सकती है। वाहनों में ब्रेक के लगातार उपयोग (ब्रेक पैड के घर्षण) के कारण यह विषैला रासायनिक तत्व सूक्ष्म कणों के रूप में पर्यावरण में फैल सकता है। शोध में यह भी पता चला है कि शहर में बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन जलाने से भी जहरीले तत्वों का संचय हो रहा है। इस अध्ययन में खतरनाक धातु लेड की मौजूदगी की भी पुष्टि हुई है। उन्होंने आगे बताया कि अध्ययन में सड़क किनारे की मिट्टी और सड़क की धूल में सेरियम (Ce) की मात्रा सबसे ज़्यादा पाई गई। सेरियम यौगिक का उपयोग वाहनों के उत्प्रेरक कन्वर्टर्स में ईंधन के पूर्ण दहन के लिए किया जाता है और यह सूक्ष्म कणों के रूप में उत्सर्जित होता है।

पीने के पानी में मौजूद तत्व बढ़ा रहे कैंसर का खतरा

भारत में सिंचाई और पेयजल के लिए भूजल मीठे पानी का प्रमुख स्रोत है। शहरी जल आवश्यकता का 50% और ग्रामीण घरेलू जल आवश्यकता का 85% भूजल द्वारा पूरा किया जाता है। औद्योगीकरण, कचरे का अनियंत्रित निपटान, कीटनाशकों के व्यापक प्रयोग और अन्य भूगर्भीय गतिविधियों ने मीठे जल संसाधनों को प्रदूषित कर रहा है। ऐसे प्रदूषित जल का सेवन पारिस्थितिकी तंत्र और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है और यह कैंसर का कारण भी बन रहा है। पीने के पानी में आर्सेनिक, यूरेनियम, एस्बेस्टस, सीसा, कैडमियम, रेडॉन और कीटनाशक के संपर्क में आने से मूत्राशय, फेफड़े, यकृत और गुर्दे सहित कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ा रहे हैं।

क्या डीडीटी भी बन रहे कैंसर प्रसार के कारक?

जानवरों पर हुए एक अध्ययन में यह बाते सामने आ चुकी है कि डीडीटी से लीवर में ट्यूमर होता है। वहीं मनुष्यों पर हुए कुछ अध्ययनों से डीडीटी के संपर्क और फेफड़ों के कैंसर तथा लिम्फोमा जैसे कैंसर के बीच संभावित संबंध का पता चलता है लेकिन कुछ शोध यह बताते हैं कि डीडीटी से कैंसर होने का कोई सीधा लिंक है। वहीं भारतीय वैज्ञानिक गौहर रजा ने अपनी किताब मिथकों से विज्ञान तक में बताया है कि डीडीटी में स्थिर रसायन होता है जो धमनियों में घुलकर कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं।